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    धरोहरः 160 साल पहले अंग्रेजों के जमाने में बना दोमोरिया पुल आज भी है मजबूत

    फिरोजपुर मंडल के अधीन आते जालंधर रेलवे स्टेशन का निर्माण 1870 में हुआ था। स्टेशन से कुछ दूरी पर दोमोरिया पुल है।

    By Pankaj DwivediEdited By: Updated: Thu, 19 Mar 2020 08:28 AM (IST)
    धरोहरः 160 साल पहले अंग्रेजों के जमाने में बना दोमोरिया पुल आज भी है मजबूत

    जालंधर, [अंकित शर्मा]। शहर का दोमोरिया पुल करीब 160 साल पुराना है। अंग्रेजों के जमाने का बना यह पुल आज भी मजबूती के साथ खड़ा है। वर्षों से लगातार ट्रेनें इसके ऊपर और ट्रैफिक इसके नीचे से दौड़ता जा रहा है। लोहे से बने इस पुल का कोई भी ऐसा हिस्सा नहीं है, जो खराब हुआ हो। इसीलिए, इतने साल बीत जाने के बावजूद वैसे का वैसे ही खड़ा है। फिरोजपुर मंडल के अधीन आते जालंधर रेलवे स्टेशन का निर्माण 1870 में हुआ था। स्टेशन से कुछ दूरी पर दोमोरिया पुल है।

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    इसके निर्माण से पहले जालंधर स्टेशन पर आने वालों को जीटी रोड से होकर आना पड़ता था और उसके अलावा कोई अन्य रास्ता नहीं था। ऐसे में रेल मार्ग के साथ शहरवासियों को जोड़ने के लिए दोमोरिया पुल का रास्ता बेहद रास आया। मौजूदा समय में भी स्टेशन के पीछे बसे एरिया के लोगों को स्टेशन लाने के लिए इसी दोमोरिया पुल के जरिये आना पड़ रहा है। अब स्टेशन के दूसरे गेट की मांग भी उठी है और इसका काम स्मार्ट सिटी के तहत ही किया जाएगा।

    बरसात में पानी भरने की समस्या के कारण बनाया गया फ्लाईओवर

    पुल का यह रास्ता ओल्ड रेलवे रोड ढन्न मोहल्ला, किशनपुरा, अजीत नगर आदि के क्षेत्रों को जोड़ता है। पुल के नीचे बरसात के दिनों में पांच से छह फीट तक पानी जमा हो जाता था। इस वजह से इन क्षेत्रों का शहर से संपर्क  तक कट जाता था। ऐसे में वहां  के लोगों को अड्डा होशियारपुर फाटक या फिर अड्डा टांडा फाटक से होकर आना पड़ता था। समस्या दूर करने के लिए करीब आठ-नौ साल पहले दोमोरिया पुल पर फ्लाईओवर बनाया गया। इसके निर्माण का मुख्य कारण भी इलाकों को जोड़े रखना था और काजी मंडी के क्षेत्र को हाईवे के साथ जोड़ना था। फ्लाईओवर के के साथ-साथ दोमोरिया पुल के रास्ते का इस्तेमाल आज भी शहरवासी कर रहे हैं।