इंटरनेट पर खूब बिक रहा अन्ना का नाम
राजेश 'योगी', जालंधर
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अन्ना हजारे ने मुहिम क्या छेड़ी, बच्चों से बूढ़ों तक हर शख्स उन्हीं का नाम ले रहा है। इसी नाम को इंटरनेट के बाजार ने भी खूब कैश किया है। इंटरनेट पर तो अन्ना हजारे कमाई का बड़ा साधन बन चुके हैं। इसके अलावा उनके नाम से मिली जानकारी का दुरूपयोग भी खूब किया जा रहा है।
पूरे विश्व में फैले इंटरनेट के जाल में देश की कोई सीमा (बार्डर) नहीं है। ऐसे में महज एक वेबसाइट के जरिये करोड़ों रुपये की कमाई की जा सकती है। वेब मास्टर इसी का फायदा उठा रहे हैं। अन्ना हजारे की मुहिम में लोगों के मिले भारी समर्थन को देखते हुए विभिन्न वेब मास्टरों (वेबसाइट बनाने वालों) ने सर्वे साइट का निर्माण किया है। इनमें भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में अन्ना हजारे का समर्थन करने या नहीं करने की जानकारी मांगी जाती है। इसके साथ मांगी जाती है कंप्यूटर यूजर से उसकी पर्सनल जानकारी। इसमें ई-मेल एड्रेस, फोन नंबर, घर का पता तथा अन्य पर्सनल जानकारी होती है। खेल यहीं से शुरू हो रहा है। इसमें तीन तरह से कमाई की जा रही है। इनमें दो तरीके तो वैध हैं, मगर तीसरे ढंग से की गई कमाई से यूजर की जानकारी को बेचा जा रहा है। यूजर की सारी जानकारी वेब मास्टर के पास स्टोर हो जाती है। इसके जरिये वेबसाइट पर होने वाले क्लिक के साथ गूगल से कमाई की जाती है। वेबसाइट या ब्लाग को जितने यूजर खोलेंगे गूगल से मिलने वाली कमाई भी उतनी ही मोटी होती जाती है। गूगल ऐड के जरिये आधा डालर से लेकर 50 डालर तक कमाई की जा सकती है। इसी तरह विज्ञापन एजेंसियों से विज्ञापन इकट्ठे कर उन्हें मेल करने का काम किया जाता है। वेबमास्टर बड़ी कंपनियों से ऐड लेकर उन्हें मोबाइल या ई-मेल पर भेज रहे हैं। इससे उन्हें मोटी कमाई हो रही है। इस सिस्टम का सबसे खतरनाक पहलू आपके डाटा की बोली है। दिए गए ईमेल आईडी से लेकर मोबाइल नंबरों की मोटी बोली लगाई जा रही है। खास बात है कि यह डाटा कौन खरीद रहा है और इसका उपयोग किस मकसद से किया जाएगा, इसकी जानकारी तक बेचने वाले को नहीं होती, मगर उसे तो अपनी कमाई दिखाई देती है। एक ईमेल या मोबाइल नंबर एक रुपये से लेकर पांच रुपये तक में बिक रहे हैं। इसके लिए एंटी हैकिंग एंटीसिपेशन सोसायटी (हंस) के संस्थापक ऋषि अग्रवाल ने लोगों को जागरूक करने की मुहिम शुरू की है। इंटरनेट विशेषज्ञ जालंधर निवासी व हैदराबाद में काम कर रहे ऋषि ने जहां इंटरनेट पर इसके लिए मुहिम छेड़ी है, वहीं हंस के जरिए देशभर में लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है।
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