त्रिवेणी का वैज्ञानिक व आध्यात्मिक महत्व है : रीत महिदर पाल
त्रिवेणी के पेड़ इस विश्वास के कारण पूजनीय हैं कि हिदू देवताओं की त्रिमूर्ति ब्रह्मा विष्णु और महेश उनमें निवास करते हैं और दिव्य सकारात्मक ऊर्जा से जु ...और पढ़ें

सरोज बाला, दातारपुर : त्रिवेणी के पेड़ इस विश्वास के कारण पूजनीय हैं कि हिदू देवताओं की त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश उनमें निवास करते हैं और दिव्य, सकारात्मक ऊर्जा से जुड़े हैं। कमाही देवी के गांव लब्बर में वन विभाग के डीएफओ अंजन सिंह के मार्गदर्शन में वन रेंज अफसर रीत महिदर पाल सिंह ने त्रिवेणी रोपण करते हुए कहा कि पूर्ण विकसित त्रिवेणी को प्राकृतिक धर्मशाला कहा जाता है। पर्यावरण के लिए एक बार जब हम उन्हें लगाते हैं, तो वे सैकड़ों वर्षों तक पर्यावरण को लाभ पहुंचाते हैं।
रीत महिदर पाल ने कहा पीपल या बरगद का वृक्ष एक हजार साल तक जीवित रह सकता है। नीम के पेड़ अधिकतम सौ साल तक जीवित रहते हैं। पीपल और बरगद में एक विशेष गुण भी होता है जो उन्हें दिन के 24 घंटे आक्सीजन छोड़ने की क्षमता देता है। इसके विपरीत अन्य पौधे आक्सीजन और कार्बन-डाइ-आक्साइड छोड़ते हैं। इसलिए हमारे ऋषियों ने कहा कि ये पेड़ पवित्र हैं और इनमें देवताओं का निवास है। लोग सदियों से इन पेड़ों को लगाते रहे हैं। इसके महत्व के कारण त्रिवेणी को कभी नहीं काटा जाता है। पीपल, बरगद और नीम का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व है। हमारे पूर्वजों ने भगवान के जीवित रूपों के रूप में उनकी रक्षा की। इन पेड़ों को लगाना, पानी देना और पोषण करना एक महान कार्य है। पीपल की छाल, इसकी जड़ों का उपयोग, इसकी पत्तियों का उपयोग अनेक रोगों से निपटने के लिए किया जा सकता है। वहीं नीम का उपयोग पारंपरिक रूप से खुजली, त्वचा रोग, मधुमेह, आंतों के कीड़े आदि को ठीक करने के लिए किया जाता है। बरगद के पेड़ की छाल, दूध, पत्ते, फल और जड़ें सैकड़ों बीमारियों को ठीक करने की क्षमता रखती हैं। इस अवसर पर फारेस्टर अजय कुमार, फारेस्टर विजय कुमार, वन गार्ड मनदीप सिंह, वन गार्ड यशपाल, वन गार्ड लखविदर सिंह, सुरजीत सिंह व अन्य उपस्थित थे।

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