Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फीस न चुका पाने पर बेंच पर खड़े रहने वाले शाम की मेहनत ने सुंदर बना दी जिंदगी

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 08 May 2021 10:07 PM (IST)

    गरीबी से अच्छी तरह वाकिफ हैं। पिता की आíथक स्थिति ठीक नहीं थी।

    Hero Image
    फीस न चुका पाने पर बेंच पर खड़े रहने वाले शाम की मेहनत ने सुंदर बना दी जिंदगी

    हजारी लाल, होशियारपुर

    गरीबी से अच्छी तरह वाकिफ हैं। पिता की आíथक स्थिति ठीक नहीं थी। कई बार इन्हें नंगे पांव भी स्कूल जाना पड़ा। हर माह फीस न देने पर डेस्क पर खड़ा होना पड़ा, जो उन्हें आज भी याद है। दिल में गरीबी से लड़ने का जज्बा था, इसलिए पढ़ना चाहते थे। बीए की पढ़ाई में गरीबी ऐसे हावी हुई कि पढ़ाई छोड़कर नौकरी करने की ठानी। फिर, समय से लोहा लिया और किस्मत बदल दी। पहले सफल बिजनेसमैन बने और बाद में राजनेता। जिंदगी में उतार-चढ़ाव वाले दिन देखने वाले ये शख्स हैं कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा, जिन्होंने किस्मत को मेहनत से बदल दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मंत्री अरोड़ा के पिता गुरदित्ता मल्ल एक्साइज का काम करते थे। माता कौशल्या गृहिणी थीं। पिता की नौकरी से होने वाली आमदनी से घर का गुजारा नहीं होता था। मूलरूप से गढ़दीवाला के रहने वाले अरोड़ा के पिता घर चलाने के लिए अमृतसर चले गए थे। पैसे के अभाव में मंत्री अरोड़ा को बीए में पढ़ाई छोड़नी पड़ गई थी। अरोड़ा बताते हैं कि लुधियाना में बड़ी बहन की फैक्ट्री में नौकरी की। जिंदगी में कुछ कर दिखाने की लगन से 18 घटे काम करने के बाद भी नहीं थकते थे। उस समय मिलने वाली तनख्वाह के बारे में पूछने पर मंत्री अरोड़ा भावुक हो गए। दो मिनट के लिए कुछ नहीं बोले। उनके चेहरे के भाव बता रहे थे कि जैसे वह पुराने दिनों में खो गए हैं। चुप्पी तोड़ी, थोड़ा संभले और फिर बोले, सात साल तक नौकरी की। अब घर के हालात थोड़े ठीक हो गए थे। इसी बीच, जिंदगी में नया मोड़ आया, जब लुधियाना की रहने वाली सिंपल से शादी हुई। शादी के बाद लुधियाना से होशियारपुर शिफ्ट होने का फैसला लिया। पत्नी की सलाह से किराये पर घटाघर में ऊन की दुकान खोली। खुद किराए पर रहने लगे। दुकान को उंचाइयों तक ले जाने में पत्नी का सराहनीय साथ रहा। किस्मत ने पलटी मारी। अब गैस एजेंसी ले ली। फिर, जालंधर के एक सज्जन के साथ मिलकर होशियारपुर में ही प्रापर्टी सेल और परचेज का काम शुरू कर दिया। कुछ ही साल में सफल बिजनेसमैन बन गए। पिता का सपना साकार करने के लिए सन 2000 में अरोड़ा ने सिंगड़ीवाला में जीएमए सिटी पब्लिक स्कूल खोला। स्कूल का नाम भी पिता के नाम पर रखा है। होशियारपुर का यह पहला सीबीएसई स्कूल है। स्कूल खोलने का निर्णय इसलिए भी था, क्योंकि आगे निकलने के लिए बच्चों को अच्छी शिक्षा की जरूरत होती है। गरीब बच्चों के लिए स्कूल के दरवाजे हमेशा खुले हैं।

    मा चिंतपूर्णी के भक्त अरोड़ा कहते हैं कि उनकी हर रोज 18 घटे की मेहनत ने इस मुकाम तक पहुंचाया है। अरोड़ा ने प्रदेश काग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव, मार्केट कमेटी होशियारपुर के चेयरमैन, काग्रेस के जिला प्रधान की जिम्मेदारिया निभाईं। दो बार विधायक बने। इनकी चार बेटिया और एक बेटा है। बड़ी बेटी डिंपल लुधियाना में ब्याही है। सिम्मी कनाडा में एडवोकेट व शिवानी पुरी डाक्टर हैं। अमिता अरोड़ा ने पीएचडी की है। बेटा प्रतीक बीए कामर्स कर रहा है।

    अरोड़ा कहते हैं कि जिंदगी से यही सबक लिया है कि मेहनत से ही मुकाम मिलता है। आज फलता-फूलता परिवार है। अब यही इच्छा है कि अंतिम सासों तक जनता की सेवा करता रहूं।