भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा अनुष्ठान है रुद्राभिषेक : महंत राज गिरी
मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में सावन महीने की शिवरात्रि पर तपोमूर्ति महंत राज गिरी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया।

संवाद सहयोगी, दातारपुर : मां कामाक्षी दरबार कमाही देवी में सावन महीने की शिवरात्रि पर तपोमूर्ति महंत राज गिरी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा, आशुतोष भगवान शिवजी, महादेव व महाकाल हैं, जो प्रसन्न होते ही वरदान देते हैं। महंत राज गिरी ने कहा, भगवान शिव भाग्य की दिशा और दशा भी बदल सकते हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए बड़े अनुष्ठान की जरूरत नहीं होती है, वह तो केवल जल और बिल्व पत्र से भी खुश हो जाते हैं। भक्त अपने मनोरथों को पूरा करने के लिए कई वस्तुओं से अभिषेक करने का कार्य करते हैं। अभिषेक भगवान शिव के रुद्र रूप का किया जाता है, इसलिए उनके इस अनुष्ठान को रुद्राभिषेक के नाम से जाना जाता है। रुद्राभिषेक में रुद्राष्टाध्यायी का पाठ किया जाता है जो अलग-अलग पवित्र पदार्थों से होता है और पदार्थों के अनुरूप इनका फल भी अलग-अलग बताया गया है।
रुद्राभिषेक में प्रयुक्त किए जाने वाले अधिकांश पदार्थ स्वास्थ्यवर्द्धक होते हैं। जैसे गाय का दूध, गाय घी और दही, शहद, गन्ने का रस, विभिन्न प्रकार के अनाज, विभिन्न स्त्रोतों से एकत्रित किए गए तिल, जौ, तेल, बिल्वपत्र, आक के फूल, धतूरा आदि हैं। रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे अच्छा अनुष्ठान माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं।
शिव ही रुद्र और रुद्र ही शिव
रुद्राष्टाध्यायी के अनुसार शिव ही रुद्र हैं और रुद्र ही शिव हैं। हमारे द्वारा जाने-अंजाने में किए गए प्रकृति विरुद्ध आचरण के परिणाम स्वरूप ही दुख भोगते हैं। रुद्र सभी दुखों से तार देता है। उन्होंने कहा, शिवजी की एक विशेषता यह है कि वह जल्द प्रसन्न हो जाते हैं, जो भक्त एक बार शिवजी की शरण में चले जाता है, उसका जीवन मंगलमय हो जाता है।
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