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    होशियारपुर: पौंग डैम से पानी छोड़े जाने से मुकेरियां के गांवों में फिर बाढ़ का हाहाकार, फसलें हुई तबाह

    मुकेरियां के आधा दर्जन गांवों में पौंग डैम से छोड़े गए 1.10 लाख क्यूसेक पानी के कारण फिर बाढ़ आ गई है। हिमाचल प्रदेश में भारी वर्षा के चलते पौंग डैम में पानी खतरे के निशान से ऊपर है जिसके कारण यह पानी छोड़ा गया। मोतला हलेड़ जनार्धन समेत कई गांव जलमग्न हो गए हैं जिससे लोगों में नाराजगी है।

    By Jagran News Edited By: Anku Chahar Updated: Thu, 28 Aug 2025 07:41 PM (IST)
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    पौंग डैम से पानी छोड़ने पर मुकेरियां के गांवों में फिर बाढ़ (फोटो: जागरण)

    जागरण टीम, मुकेरियां\होशियारपुर। बाढ़ का पानी कम होने से राहत भरी उम्मीद लिए बैठे मुकेरियां के आधा दर्जन गांवों के लोगों की फिर सांसे थम गईं।

    क्योंकि बाद दोपहर पौंग डैम तलवाड़ा से छोड़ा गया करीब 1.10 लाख क्यूसेक पानी ने वीरवर शाम को फिर से बाढ़ की चपेट ला दिया। पानी की मार से छह गांवों में फिर तीन से चार फुट पानी भर गया है।

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    बता दें कि हिमाचल प्रदेश में भारी वर्षा के चलते पानी पंजाब में आ रहा है। इस वजह से पौंग डैम में पानी खतरे के निशान से तकरीबन साढ़े तीन फुट ऊपर है।

    मौके की स्थिति को भांपते हुए बीबीएमबी प्रबंधन ने वीरवर बाद दोपहर से धीरे धीरे करके 1.10 लाख क्यूसेक पानी ब्यास नदी में छोड़ दिया। चूंकि मुकेरियां का इलाका निचले स्तर में शुमार है।

    इसलिए डैम से छोड़ा गया पानी देर शाम तक मुकेरियां के गांवों को अपनी चपेट में ले लिया।

    गांव मोतला हलेड़ जनार्धन, कोलियां 418, महिताबपुर, मैनी, मलाहां, मुसाहिबपुर,कलोता, नौशहरा पत्तन, तगडकलां, मौली, बाबूपुर इलाका जलमग्न हो गए हैं।

    लोगों में इसके प्रति नाराजगी भी है। पूर्व ब्लाक समिति सदस्य शंभू नाथ पार्टी ने बताया कि वह ब्यास दरिया की हिमाचल के साथ पंजाब की सीमा से जीटी रोड से शुरू होकर गांव बाबूपुर तक पक्का धुस्सी बांध बांधने के लिए कई धरने लगे थे।

    उस वक्त 2014 में दरिया के किनारे कही-कही स्टड बना दिए गए लेकिन धुस्सी बांध नहीं बनाया गया। ताजी मिसाल की है कि 2023 को बाढ़ आने के बाद पंजाब कि आप सरकार के मुख्यमंत्री ने बांधने का वादा किया लेकिन वह वादा पूरा नहीं किया।

    अब हिमाचल में हो रही बड़ी बारिश चक्की पठानकोट के पानी और पोंग डैम के पानी से बाढ़ आने से मुकेरियां के करीब एक दर्जन गांव चपेट में आ रहे हैं जिनमें से चार-पांच गांव की स्थिति ज्यादा नाजुक है।

    जैसे के गांव मोतला का गांव से संपर्क टूट चुका है। वहां की सड़क टूटने के बाद पानी का भाव चल रहा है और लोगों का कहना है कि उनके रोटी का गुजारा तो चल रहा है लेकिन पशुओं के लिए चारे का बहुत मुश्किल है और दरिया में बाढ़ के कारण फसल के साथ-साथ पशुओं का चारा भी बर्बाद हो चुका है और शासन और प्रशासनके दोबारा झूठ के अलावा कुछ नहीं मिल रहा।