पांच कारणों से हुआ था भगवान श्रीराम वनवास
कंडी इलाका के दशहरा एवं रामलीला समारोहों में श्रीराम वनवास की घटना का सजीव मंचन किया गया। महंत राज गिरी ने कमाही देवी में धर्म चर्चा करते हुए कहा कि श्री राम का वनवास रामायण की सबसे बड़ी घटना है।

संवाद सहयोगी, दातारपुर
कंडी इलाका के दशहरा एवं रामलीला समारोहों में श्रीराम वनवास की घटना का सजीव मंचन किया गया। महंत राज गिरी ने कमाही देवी में धर्म चर्चा करते हुए कहा कि श्री राम का वनवास रामायण की सबसे बड़ी घटना है।
उन्होंने कहा कि रामायण की कथा के अनुसार कैकेयी की जिद्द की वजह से भगवान राम को वन जाना पड़ा था, लेकिन यह मात्र एक दृष्य घटना है। श्रीराम के वन गमन के पीछे कई दूसरे कारण भी थे, जिन्हें वही व्यक्ति समझ सकता है। जिन्होंने रामायण और राम चरितमानस को पढ़ा और समझा हो। कैकेयी ने हमेशा राम को अपने पुत्र भरत से अधिक प्रेम किया। कभी भी कैकेयी ने राम के साथ कोई भेद भाव नहीं किया। यही वजह थी कि जब राम के वन जाने की वजह का पता भरत को चला तो वह हैरान हुए थे कि माता कैकेयी ऐसा कैसे कर सकती है। सच भी यही था कि कैकेयी ने यह जान बुझकर ऐसा नहीं किया था।
उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम का जन्म रावण वध करने के उद्देश्य से हुआ था। अगर राम राजा बन जाते तो देवी सीता का हरण और इसके बाद रावण वध का उद्देश्य अधूरा रह जाता। इसलिए देवताओं के अनुरोध पर देवी सरस्वती कैकेयी की दासी मंथरा की मति फेर देती हैं। मंथरा आकर कैकेयी का कान भरना शुरू कर देती है कि राम अगर राजा बन गए तो कौशल्या का प्रभाव बढ़ जाएगा। इसलिए भरत को राजा बनवाने के लिए तुम्हें हठ करना चाहिए। मंथरा की जुबान से देवी सरस्वती बोल रही थीं। इसलिए मंथरा की बातें कैकेयी की मति को फेरने के लिए काफी थीं।
कैकेयी ने खुद को कोप भवन में बंद कर लिया। राजा दशरथ जब कैकेयी को मनाने पहुंचे तो कैकेयी ने भरत को राजा और राम को चौदह वर्ष का वनवास का वचन मांग लिया। इस तरह भगवान राम को वनवास जाना पड़ा।
राज गिरी भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि राव वनवास का संबंध में एक शाप से भी है। कथा के अनुसार नारद मुनि के मन में एक सुंदर कन्या को देखकर विवाह की इच्छा जगी। नारद मुनि नारायण के पास पहुंचे और उनसे हरि जैसी छवि मांगी। हरि का मतलब विष्णु भी होता है और वानर भी। भगवान ने नारद को वानर का मुख दे दिया। इस कारण से नारद मुनि का विवाह नहीं हो पाया। क्रोधित होकर नारद मुनि ने भगवान विष्णु को शाप दे दिया कि आपको देवी लक्ष्मी का वियोग सहना पड़ेगा और वानर की सहायता से ही आपका पुन: मिलन होगा। इस शाप के कारण राम-सीता का वियोग होना था, इसलिए भी राम को वनवास जाना पड़ा।
पांचवां और सबसे बड़ा कारण स्वयं भगवान श्री राम हैं। तुलसी दास जी ने रामचरित मानस में लिखा है 'होइहि सोइ जो राम रचि राखा। यानी भगवान राम की इच्छा के बिना कुछ भी नहीं होता। भगवान राम स्वयं ही अपनी लीला को पूरा करने के लिए वन जाना चाहते थे। क्योंकि वन में उन्हें हनुमान से मिलना था। अहिल्या और सबरी का उद्धार करना था। धरती पर धर्म और मर्यादा की सीख देनी थी। इसलिए जन्म से पहले ही राम यह तय कर चुके थे कि उन्हें वन जाना है और पृथ्वी से पाप का भार कम करना है।
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