कथा ब्यास ने किया गुरु की महिमा का वर्णन
सुश्री देवा जी महाराज की अध्यक्षता में दशहरा ग्राउंड मुकेरियां में कार्यक्रम करवाया गया।

संवाद सहयोगी, मुकेरियां : सुश्री देवा जी महाराज की अध्यक्षता में दशहरा ग्राउंड मुकेरियां में करवाई जा रही दिव्य श्री भक्तमाल कथा के चौथे दिन कथा ब्यास पंडित आयुष कृष्ण जी महाराज ने गुरु महिमा का वर्णन किया।
इस मौके पर उन्होंने बताया कि वह कोई भक्त नहीं होगा। जिनको गुरु के बगैर भगवत प्राप्ति हुई हो। कथा के दौरान महाराज ने बताया कि मीराबाई की 11 वर्ष की अवस्था में ही राव दूदाजी उनको छोड़कर विदा हो जाते है। अब मीरा के जीवन में संघर्ष ने अपनी जगह ले ली, क्योंकि मीराबाई का ख्याल जितना राव दूदा रखते उतना कोई नहीं।मीरा बहुत रोई, मीरा के भक्ति पथ का एक पथिक कम पड़ गया था। क्योंकि सच्चा साथी हमारा वहीं है, जो भक्ति पथ पर सदैव हमारे साथ रहे। दादा के जाते ही संसार के लोगों ने मीरा के विवाह का प्रसंग शुरू कर दिया। जबकि मीरा गिरधर की मूर्ति को ही अपना सर्वस्व मान बैठी थी।फिर भी मीरा की ताई गिरजाबाई के कहने पर चित्तौड़ सिसोदिया वंश के कुंवर भोजराज के साथ में मीरा का संबंध कर देते है। संत ने अंत में सभी भक्तों से कथा में आने का आह्वान किया और बालकों को भी साथ लाने पर जोर दिया। कहा कि अगर आप छोटे बालकों को कथा सुनाओगे तभी बड़े होकर वे आपकी सेवा करेंगे। इस समय सुश्री देवा जी महाराज, अजय गोरा, प्रितपाल काली, तोषी दीदी, लाडो दीदी, अजय भारद्धाज, राजेंद्र मनोचा, रमन कुमार तंगरालिया, राकेश गुलेरिया, राजेश वर्मा, चीना, जनकराज, अश्वनी कुमार व संगत उपस्थित थी।
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