मानसून की वर्षा से लबालब भरे खेत, धान की फसल को फायदा
शुक्रवार सुबह लोग नींद से जागे तो सारा आसमान घनघोर बादलों से भरपूर था। सुबह सात बजे से शुरू हुई भारी वर्षा से मौसम सुहावना बना पारा गिरने से बच्चे-बूढ़े सभी को भीषण गर्मी से राहत मिली। धान के खेत भी पानी से लबालब भर गए जिससे अब पानी की कमी किसानों को महसूस नहीं हो रही।

सरोज बाला, दातारपुर : शुक्रवार सुबह लोग नींद से जागे तो सारा आसमान घनघोर बादलों से भरपूर था। सुबह सात बजे से शुरू हुई भारी वर्षा से मौसम सुहावना बना, पारा गिरने से बच्चे-बूढ़े सभी को भीषण गर्मी से राहत मिली। धान के खेत भी पानी से लबालब भर गए, जिससे अब पानी की कमी किसानों को महसूस नहीं हो रही। डीजल इंजन से सिचाई करने वाले किसानों को बहुत राहत मिली है। किसान प्रेम सिंह व चरनजीत के अनुसार एक घंटा इंजन चलने से 100 रुपये का डीजल लगता है। जो बहुत महंगा पड़ता है और यदि वर्षा न हो तो फसल की लागत बढ़ जाती है।
सुबह हुई भारी वर्षा से खेत पानी से भरे तो किसानों को राहत मिली। वर्षा से गलियों-नालियों में जमा हुआ कूड़ा कर्कट साफ हो गया। वहीं कंडी इलाके की गैर सिचित भूमि में खेती करने वाले किसानों के चेहरे भी खिल उठे क्योंकि अमरोह, रामगढ़, चमूही, कमाही देवी, रामपुर, बड़ला आदि इलाकों के सैकड़ों गांवों की मुख्य फसल मक्की है। यहां मक्की, चारे के लिए बाजरा, चरी, ज्वार और दलहन फसलों जैसे मूंग, माश की बिजाई लगभग हो चुकी है। वर्षा होने के कारण अब बढि़या फसल की उम्मीद बन गई है। किसान शक्ति सिंह, विनोद, जोगिन्दर का कहना है कि अब मक्की की फसल भरपूर होगी। पशुओं के लिए चारे की उपलब्धता भी आसान होगी। वहीं तालाबों व छप्पड़ों में पानी भरने से जंगली जानवरों, आवारा पशुओं को राहत मिलेगी। अब उन्हें जंगल में ही पीने के लिए पानी मिलेगा और जान जोखिम में डाल कर उन्हें अब आबादी का रुख नहीं करना पड़ेगा। इन दिनों भूजल स्तर में भारी गिरावट देखने को मिला था। दातारपुर क्षेत्र के किसान खासे परेशान थे, क्योंकि धान की फसल लगाने के समय पानी के लाले पड़े थे। कुओं और बोर में पानी न के बराबर था। पानी की सही आपूर्ति भी नहीं हो पा रही थी। वर्षा के कारण भूजल स्तर में भी सुधार होगा।
कृषि विकास अधिकारी डा. अजर कंवर का कहना है वर्षा की कमी से इस बार धान का काम प्रभावित हुआ था। उन्होंने किसानों का धन्यवाद भी किया कि उन्होंने सरकार के दस जून से पहले धान न लगाने के आदेशों का पालन किया है। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार मानसून के बादल बरसे तो फसल भरपूर होगी और भूजल स्तर भी रीचार्ज होगा जो भविष्य के लिए शुभ संकेत है।
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