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    आज भी माता-पिता की सेवा करने वाले को श्रवण कुमार कहते हैं: जिदा बाबा

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 24 Jul 2022 04:43 PM (IST)

    दुर्गा माता मंदिर बड़ी दलवाली में माता-पिता दिवस के अवसर पर आध्यात्मिक विभूति राजिदर सिंह जिदा बाबा ने इस दिन और माता पिता की सेवा का महत्व बताते हुए कहा ऐसा माना जाता है कि श्रवण कुमार के माता-पिता अंधे थे

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    आज भी माता-पिता की सेवा करने वाले को श्रवण कुमार कहते हैं: जिदा बाबा

    संवाद सहयोगी, दातारपुर

    दुर्गा माता मंदिर बड़ी दलवाली में माता-पिता दिवस के अवसर पर आध्यात्मिक विभूति राजिदर सिंह जिदा बाबा ने इस दिन और माता पिता की सेवा का महत्व बताते हुए कहा ऐसा माना जाता है कि श्रवण कुमार के माता-पिता अंधे थे। श्रवण कुमार अत्यंत श्रद्धापूर्वक उनकी सेवा करते थे।

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    एक बार उनके माता-पिता की इच्छा तीर्थयात्रा करने की हुई। श्रवण कुमार ने कांवर बनाई और उसमें दोनों को बैठाकर कंधे पर उठाए हुए यात्रा करने लगे। बाबा ने कहा एक दिन वे अयोध्या के समीप वन में पहुंचे। वहां रात्रि के समय माता-पिता को प्यास लगी। श्रवण कुमार पानी के लिए अपना कलश लेकर सरयू तट पर गए। उसी समय महाराज दशरथ भी वहां आखेट के लिए आए हुए थे। श्रवण कुमार ने जब पानी में अपना कलश डुबोया, दशरथ ने समझा कोई हिरन जल पी रहा है।

    उन्होंने शब्दभेदी बाण छोड़ दिया। बाण श्रवण कुमार को लगा। दशरथ को दुखी देख मरते हुए श्रवण कुमार ने कहा- मुझे अपनी मृत्यु का दु:ख नहीं, कितु माता-पिता के लिए बहुत दु:ख है। आप उन्हें जाकर मेरी मृत्यु का समाचार सुना दें और जल पिलाकर उनकी प्यास शांत करें। दशरथ ने देखा कि श्रवण दिव्य रूप धारण कर विमान में बैठ स्वर्ग को जा रहे हैं। पुत्र का अग्नि संस्कार कर माता-पिता ने भी उसी चिता में अग्नि समाधि ली और उत्तम लोक को प्राप्त हुए। कहा जाता है कि राजा दशरथ ने बूढ़े मां-बाप से उनके बेटे को छीना था। इसीलिए राजा दशरथ को भी पुत्र वियोग सहना पड़ा रामचंद्र जी चौदह साल के लिए वनवास को गए। राजा दशरथ यह वियोग नहीं सह पाए। इसीलिए उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। आज भी माता-पिता की सेवा करने वाले को श्रवण कुमार कहते हैं परंतु बड़े दुर्भाग्य की बात है कि श्रवण के इस देश में यहां के पुत्र अब अपने माता-पिता को वृद्ध आश्रम में बेसहारा छोड़ रहे हैं। माता-पिता ने हमारे लालन-पालन में जितने कष्ट उठाए हैं, उनका एहसास हम सैकड़ों जन्म में भी उतार नहीं सकते। आज इस दिन संकल्प लें कि अपने माता-पिता की सेवा करेंगे उनकी इज्जत करेंगे। इस अवसर पर गोला पंडित, राकेश, सरपंच दिलबाग सिंह, प्रितपाल सिंह, सरोज, भोली देवी, अरुणा भी उपस्थित थे।