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    वनों के लिए घातक लैंटाना बूटी, समाप्त कर रही है वनस्पति और विभाग बेखबर

    By JagranEdited By:
    Updated: Mon, 22 Mar 2021 05:30 AM (IST)

    शिवालिक क्षेत्र के वनों दातारपुर कमाही देवी चमूहि रामगढ़ अमरोह रामपुर मनहोता में लैंटाना झाड़ी बड़ी तेजी के साथ फैल रही है। इसके कारण पेड़-पौधे अपना अस्तित्व खो रहे हैं।

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    वनों के लिए घातक लैंटाना बूटी, समाप्त कर रही है वनस्पति और विभाग बेखबर

    सरोज बाला, दातारपुर

    शिवालिक क्षेत्र के वनों दातारपुर, कमाही देवी, चमूहि, रामगढ़, अमरोह, रामपुर, मनहोता में लैंटाना झाड़ी बड़ी तेजी के साथ फैल रही है। इसके कारण पेड़-पौधे अपना अस्तित्व खो रहे हैं। यहीं नहीं, कंडी इलाका के खेतों में भी इसकी जड़ें पहुंच चुकी हैं। इस वजह से कई उपयोगी पौधे सिमट कर रह गए हैं। किसान विनोद कुमार, शक्ति सिंह, बलदेव सिंह ने बताया कि जिस तरह से वनों में आग फैलती है, उसी प्रकार लैंटाना का तेज फैलाव हरियाली और जंगलों को निगलता चला जाता है। वनों में लैंटाना की झाड़ी विकराल फैलाव पा चुकी है और इससे वन के किसी भाग को देखना मुश्किल हो गया है। वनों में फलाह, किन्नू, सरीन, रजैन, केम्ब्ल, मेंदरू, कांगू, गरना, केन्दू सहित कई पौधे विलुप्त हो गए हैं। इसके अलावा पैदल रास्ते झाड़ी की वजह से लगभग बंद हो चुके हैं, जिसका खामियाजा जंगलों में विचरण करने वाले निरीह प्राणियों को भुगतना पड़ रहा है। पत्तियों को ग्रास बनाने वाले सभी जानवर इस झाड़ी के कारण ठिकानों को बदलने के लिए भटकते दिखाई देते हैं। ऐसे में जीवों का जीवन भी खतरे में आ गया है। वनों के लगातार कटाव की वजह से वैसे ही उपयोगी पौधे सीमित मात्रा में रह गए हैं। ऐसे में वन्य जीव आशियानों को छोड़ कर गांवों की खेती की तरफ आकर्षित होकर नुकसान करते हैं और फसलें उजाड़ते हैं।

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    झाड़ी के तनों की लकड़ी को उपयोग में लाना जरूरी

    जोगिद्र कुमार और पूर्ण सिंह का कहना है, जब तक इस पौधे का समूल नाश नहीं करते, तब तक वन इसकी गिरफ्त में ही रहेंगे। क्षेत्र में इस झाड़ी को समाप्त करने के लिए सरकार व वन महकमे ने कोई प्रयास नहीं किए। लैंटाना घास को उखाड़ फेंकने की प्रक्रिया में मशीनों से कामयाबी तो मिल जाती है, परंतु साफ किए गए क्षेत्र में पुन: अनदेखी की वजह से झाड़ी फिर से जड़ें जमाने लगती है। लैंटाना की झाड़ियां वनों में किसी दैत्य की तरह उपद्रव मचाए हुए हैं। अगर झाड़ी के तनों की लकड़ी को चूल्हों के जलावन के रूप में प्रयुक्त करने का विकल्प निकाल लें, तो काम आसान हो जाएगा। इससे एक तो व्यक्ति काट-छांट कर इसे चूल्हे में प्रयुक्त करता जाएगा, दूसरी ओर जंगल की थोड़ी-थोड़ी जगह इसके फैलाव से मुक्ति पाती जाएगी। इसके नाश के लिए मनरेगा के तहत काम करवाया जा सकता है।

    लोगों को भी करना होगा सहयोग : दलजीत कुमार

    इस विषय में वन रेंज अफसर तलवाड़ा दलजीत कुमार का कहना है कि लैंटाना को अंग्रेज एक सजावटी पौधे के तौर पर लाए थे। अब यह समस्या वनों के लिए वास्तव में गंभीर खतरा है। इस पर बिना जनसहयोग के काबू पाना असंभव है। इसके प्रभाव से कई वनस्पतियां लुप्त हो रही है जो चितनीय है। उन्होंने कहा, इसके पत्ते भी जहरीले होते हैं जिसे पशु भी नहीं खा सकते।

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