बाबा लाल दयाल ने की 22 गद्दियों की स्थापना
दातारपुर वैष्णवाचार्य 1008 योगिराज सतगुरु बावा लाल दयाल महाराज का जन्म पिता भोलामल क
सरोज बाला, दातारपुर
वैष्णवाचार्य 1008 योगिराज सतगुरु बावा लाल दयाल महाराज का जन्म पिता भोलामल के घर संवत 1412 (सन 1355) में माघ शुक्ल द्वितीया को कस्बा कसूर पाकिस्तान में हुआ था। 22 गद्दियों की स्थापना कर योगशक्ति द्वारा 300 साल की आयु प्राप्त करने वाले योगीराज बावा लाल दयाल जी ने विक्रम संवत 1712 सन 1655 में रामपुर हलेड़ आश्रम में शरीर का त्याग किया था।
दातारपुर-रामपुर-हरिद्वार के पीठाधीश्वर महंत 1008 रमेश दास शास्त्री ने बताया कि ढाका यूनिवर्सिटी के पूर्व उपकुलपति डकॅ. एचआर मजूमदार की पुस्तक दारा शिकोह के अनुसार बाबा लाल जी क्षत्रीय थे और उनका जन्म जहांगीर के शासन काल में हुआ था। इसी तरह जेम्स हे¨स्टग्ज ने अपनी किताब कोर्ट पेंटर्स आफ 1832 में उनकी 300 साल की आयु पर प्रकाश डाला है। औरंगजेब के भाई दारा शिकोह ने अपनी पुस्तक हसनत-उल-आरिफिन में लिखा है कि बावा लाल जी एक महान योगी हैं। इनके समान प्रभावशाली और उच्च कोटि का कोई महात्मा ¨हदुओं में मैंने नहीं देखा है।
दिल्ली का बादशाह खिजर खान भी उनका धुर विरोधी था। उसने अपने कई मुल्लाओं को बाबा की परीक्षा लेने भेजा। मगर, वह सभी बाबा के पास जाकर उनकी अप्रतिम प्रतिभा देखकर उनके शिष्य बन गए और अंत में बादशाह खिजर खान भी बाबा के समक्ष झुक गया।
खिजर खां भी बावा लाल का शिष्य बन गया। लंगर सेवा के लिए 100 बीघा जमीन आश्रम के नाम कर दी। दूसरे खर्चो के लिए आठ गांवों का राजस्व भी लगा दिया।
महंत जी ने बताया कि बाबा लाल जी की 22 गद्दियों में काबुल, कंधार तथा गजनी अफगानिस्तान में व चार पाकिस्तान में है। इसी बीच औरंगजेब का भाई दारा शिकोह बावा लाल जी के उपदेशों से प्रभावित होकर उनका शिष्य बन गया था। बावा जी के गुरु का नाम चेतन स्वामी था। बावा जी अपनी तपस्थली सहारनपुर से प्रतिदिन हरिद्वार का 50 किलोमीटर का सफर कर गंगा स्नान करने जाते थे। उनका उपदेश था कि हे मानव यदि तू मन के गुल (फूल) का ¨चतन करेगा, तो तू गुल बन जाएगा। यदि तेरे तन में व्याकुल बुलबुल का ख्याल घर किए बैठा है तो तू बुलबुल बन जाएगा। तू अंश है और ब्रह्मापुरुष है। यादि तू कुछ दिन तक कुल अर्थात (ब्रह्मा) का ध्यान करेगा तो तू भी ब्रह्मा बन जाएगा।
बावा लाल दयाल जी का 663वां जन्मोत्सव 19 जनवरी को महामंडलेश्वर महंत 1008 रमेश दास जी की अध्यक्षता में दातारपुर के धाम में मनाया जा रहा है।
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