संतों में सर्वोपरि है श्री हरि बाबा जी का नाम
जागरण प्रतिनिधि, होशियारपुर : संसार में विश्वात्मा श्री हरि ने अनेक महानुभावों के रूप में अवतरित होकर कल्याणमय महान धर्म की प्रतिष्ठा की। ऐसे महापुरुषों में श्री हरि बाबा जी का स्थान सर्वोपरि है। आप वर्तमान समय में श्री भगवन्नाम कीर्तन के प्रधान आचार्य हैं। श्रीमन महाप्रभु जी भी इसी परंपरा में आते हैं। होली महोत्सव जो 19 मार्च के दौरान हर साल श्री वृंदावन धाम में मनाया जाता है। इस बार वह श्री हरिबाबा जी का 120वां जन्म महोत्सव है। बाबाजी का प्रकाश 1941 में फाल्गुण मास की शुक्ल 14 (यह तिथि इस बार सात मार्च को है) को गरवाल जो होशियारपुर से 18 कोस दूर है, के आहलूवालिया सिख परिवार में हुआ। आपके पिता प्रताप सिंह पटवारी थे। बाबा जी का बचपन का नाम दीवान सिंह था। उनकी प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा होशियारपुर में हुई। जब बाबा जी बच्चों के साथ हजरत बैठते, तो खेल मात्र में ही ध्यान करते-करते समाधि में चले जाते। उनके बारे में स्वामी ज्ञानानंद जी का कहना है कि बाबा जी स्वभाव से ही मितभाषी, संकोची व विनयी थे। उनके जीवन पर गुरुदेव स्वामी सच्चिदानंद के अलौकिक चरित्र की अमिट छाप पड़ी है। इनके नाम से आज होशियारपुर में श्री हरिबाबा मंदिर तीर्थ धाम बना हुआ है। जब वह बड़े हुए तो एक दिन उनकी माता ने उन्हें विवाह करने की बात कही। इस पर उन्होंने कहा कि मैं तुम्हारे घर में रहने के लिए नहीं आया हूं। जन्म से पहले मैने साधु रूप में जो धनुष बाण व पुस्तक दी थी, जो पूजा घर में प्रतिष्ठित है, वह मुझे दे दो। बाबा जी के चौथे भाई सरदार हीरा सिंह जी सरकारी स्कूल घंटाघर में अध्यापक थे। श्री हरिबाबा जी जहां जाते वहां वृंदावन बन जाता और वहां भक्ति की लहर उठती। स्वामी सच्चिदानंद जी की सेवा में उन्होंने आगे का अध्ययन छोड़ दिया और कड़ी मेहनत से गुरु जी को प्रसन्न किया। सत्संग, कथा नित्य हरि कीर्तन, पूजा पाठ व धार्मिक महापुरुषों के दर्शन यही उनकी जीवन क्रम था। स्वामी ज्ञानानंद ने बताया कि 1928 के आसपास बांध का निर्माण व महोत्सव की परमार्थिक घटना आज भी लोगों की जुबान पर है। श्री प्रभु दत्त ब्रह्मचारी, हरे कृष्ण ब्रह्मचारी, बाबा रामदास जी, शंकराचार्य व कृष्ण बोध आश्रम आदि ऐसे नाम हैं जो हरि बाबा के साथ सदा से जुड़े हुए हैं। अनेक भक्तों के नाम भी उनके साथ अमर हो गए। ऐसे महान संत कीर्तन के द्वारा जन-जन में भक्ति भावनामृत बरसाने वाले हरिबाबा श्री मन महाप्रभु चैतन्य की तरह सभी के प्रेरणा के स्त्रोत बने रहेंगे।
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