एकल परिवार से बिगड़ रहा है तानाबाना
लोकेश चौबे, होशियारपुर
पिछले कुछ समय से संयुक्त परिवार के मुकाबले एकल परिवारों की संख्या तेजी से बढ़ी है। कई बार ट्रासफर होने की वजह से भी एकल परिवार में रहना लोगों की मजबूरी बन जाती है। पैरेंट्स के बिजी होने के चलते बच्चे का भी सर्वागीण विकास नहीं हो पाता। नीरज बिजनेस के सिलसिले में अक्सर शहर से बाहर ही रहते हैं। वर्तमान में नीरज के एक बेटा भी है।
घर में उनकी पत्नी वंदना और बच्चा रह जाता है। घर के साथ ही बच्चे का पालन पोषण करने में वंदना को बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे एकल परिवार में बच्चों की परवरिश अभिभावकों के लिए चुनौती बनती जा रही है। इसके विपरीत संयुक्त परिवार में दादा-दादी, बुआ, चाचा समय पड़ने पर बच्चों की देखभाल करने के साथ ही उन्हे संस्कारित भी करते है। एकल परिवार में माता-पिता नहीं दे पा रहे हैं बच्चों पर ध्यान। अच्छी परवरिश बनी चुनौती। पिछले कुछ समय से एकल परिवारों का चलन काफी तेजी से बढ़ा है। उतनी ही तेजी से इन परिवारों में बच्चे की अच्छी परवरिश करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
संयुक्त परिवार के फायदे
-संयुक्त परिवार में बच्चा घुल-मिल जाता है और उसे पारिवारिक माहौल में रहने की आदत बन जाती है। इससे उसका व्यावहारिक ज्ञान भी बढ़ता है।
-मा-पिता के न होने पर परिवार के दूसरे सदस्य बच्चे को संभाल लेते हैं, जिसके पति-पत्नी को ज्यादा कठिनाई नहीं होती।
-संयुक्त परिवार में बुजुर्ग सेंसर का काम करते हैं। बच्चे की हर गतिविधि पर पारिवारिक सदस्यों की नजर रहती है। संयुक्त परिवार में बच्चे के बिगड़ने की बहुत कम आशंका होती है और समय रहते उसमें सुधार किया जा सकता है।
एकल परिवार से परेशानी
-किसी कार्यक्रम में छोटे बच्चे को ले जाना मुश्किल हो जाता है और घर में किसी के न होने के कारण अकेला छोड़ नहीं सकते।
-बच्चे को कंपनी नहीं मिल पाती।
-बड़ों से संस्कार नहीं मिल पाता जो कि उसके विकास के लिए बाधा बनते हैं।
-बच्चों को अपने रिश्तेदारों व अपनी विरासत के बारे में नहीं पता चल पाता सही ज्ञान।
-घर में बच्चे की या पत्नी की तबीयत बिगड़ने पर संभालना मुश्किल हो जाता है।
राय कुछ खास लोगों की
मनोविज्ञान की प्रोफेसर प्रवीना विमल कहती हैं कि बदलते जमाने के साथ लोगों ने अपने लाइफ स्टाइल में बहुत तेजी से परिवर्तन किया है। इससे परिवार का तानाबाना बिगड़ रहा है। उन्ही में से एक स्टाइल उभरा है एकल परिवार का। एकल परिवार में बच्चे की परवरिश के लिए टाइम मैनेजमेंट जरूरी है। हाउस वाइफ को चाहिए कि वह शेड्यूल तय कर काम करे। इससे वह बच्चे को पर्याप्त समय दे पाएंगी। यदि पति-पत्नी दोनों ही नौकरी करते हैं तो इस स्थिति में भी उन्हें बच्चे के लिए समय जरूर निकालना चाहिए। प्रो. विमल कहती हैं कि संयुक्त परिवार और एकल परिवार के बच्चों के व्यवहार में अंतर होता है। संयुक्त परिवार का बच्चा प्राब्लम सॉल्विंग और अधिक व्यवहारिक होता है। इसके विपरीत एकल परिवार के बच्चे कई बार चिड़चिड़े या अकेलेपन में रहने के आदी हो जाते है।
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