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    हिंदी और संस्कृत का अभिन्न संबंध : डा. वेद

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    Updated: Sat, 02 Feb 2013 09:03 PM (IST)

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    जागरण संवाद केंद्र, होशियारपुर : डीएवी कालेज होशियारपुर हिंदी संस्कृत परिषद के सौजन्य से विस्तारण भाषण का आयोजन हुआ। साधु आश्रम पंजाब विश्वविद्यालय केंद्र होशियारपुर से मुख्य वक्ता के रूप में पधारे डा. वेद प्रकाश का स्वागत कालेज के प्राचार्य डा. केके चावला, डा. रुबी जैन, डा. नीरु मेहता, डा. नीति शर्मा ने किया।

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    मुख्य वक्ता ने डा. वेद ने स्पष्ट किया कि भाषा में न कभी विभेद था और न है, जो ऐसा मानते हैं वे भाषा के विकास से अनभिज्ञ हैं। संस्कृत और हिंदी में मां-बेटी का संबंध है, पर हमारे चिंतन में यह बात बिठा दी गई है कि संस्कृत हिंदी वालों के लिए अध्यापन के अतिरिक्त कोई रोजगार नहीं है, लेकिन वास्तविकता तो यह है कि अधिकांश टीवी चैनल हिंदी का प्रयोग कर रहे हैं। यहां तक कि हिंदी फिल्में, संस्कृत के नाटकों और कथाओं को ही आधार बनाकर तैयार की गई है। धारावाहिकों में भी महादेव, रामायण, श्री कृष्णा आदि का मूल आधार संस्कृत ही है। संस्कृत भाषा की शब्दावली और व्याकरण का प्रयोग भारतीय भाषाओं की पारिभाषिक शब्दावली के निर्माण में अपरिहार्य है। हिंदी विश्व की आत्मा है तो विश्व में प्रचलित 2700 भाषाओं में संस्कृत एकमात्र सबसे प्राचीन भाषा है। डा. रुबी जैन ने मुख्य अतिथि का धन्यवाद किया।

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