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    जिसने देखा नहीं लाहौर, वो देखे कलानौर

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 12 Nov 2021 07:01 PM (IST)

    पुराने बुजुर्गो की कहावत है कि जिसने देखा नहीं लाहौर वो देखे कलानौर।

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    जिसने देखा नहीं लाहौर, वो देखे कलानौर

    महिदर सिंह अर्लीभन्न, कलानौर

    पुराने बुजुर्गो की कहावत है कि जिसने देखा नहीं लाहौर, वो देखे कलानौर। कलानौर में मुगल सम्राट जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर का ताजपोशी तख्त, प्राचीन शिव मंदिर, बाबा बंदा सिंह बहादुर गुरुद्वारा साहिब, किरन नदी किनारे तपो भूमि मंदिर बावा लाल और जमीला बेग के मकबरे, बाबा बुड्ढण शाह जी की जगह आदि धार्मिक स्थल सदियों पुराने इतिहास की गवाही भरते हैं।

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    इस ऐतिहासिक कस्बा कलानौर के ऐतिहासिक स्थानों प्राचीन शिव मंदिर, बाबा बंदा सिंह बहादुर व मुगल सम्राट जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर की ताजपोशी के नवीनीकरण के लिए जमीन एक्वायर कर ली गई है। इन ऐतिहासिक जगहों पर करीब सात करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। कलानौर के ऐतिहासिक स्थलों संबंधी जानकारी देते हुए प्रो. राज कुमार ने बताया कि कलानौर का इतिहास सदियों पुराना है। किरन नदी के किनारे बसे इस शहर का नाम कालेश्वर शिव मंदिर के कारण पड़ा। भगवान शिव के साथ जुड़े तीन स्थल काशी, कैलाश पर्वत और कलानौर काफी पवित्र हैं। हिदू किरन नदी को सरस्वती के नाम से जाना जाता है और प्राचीन काल में यह बहुत ही रमनीक स्थल था। इस कस्बे में बहती किरन नदी किनारे महाराज बावा लाल दयाल जी ने तपस्या की थी।

    उन्होंने बताया कि मंदिर और इसके आसपास की बनतर बताती है कि यह मंदिर एक किला नुमा इमारत में स्थित था और सदियों से यह मंदिर श्रद्धा का केंद्र रहा है। उत्तर मुगल काल में इस पवित्र अस्थान को मिट्टी में दबा दिया गया था और इस पर एक मस्जिद का निर्माण हो गया था। मगर महाराजा रणजीत सिंह के काल में एक जांच के बाद इस मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ। प्रो. शर्मा का कहना है कि इस प्राचीन शिव मंदिर का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह के लड़के महाराज खड़क सिंह के समय पूरा हुआ। कलानौर सल्तनत मुगल काल से ही प्रसिद्ध रहा। 15वीं शताब्दी में जसर्थ खोखर के दो हमलों के दौरान यह शहर उजड़ गया। सुल्तान फिरोज तुगलक 1352 में कलानौर आया और उसने किरण नदी के किनारे एक शानदार महल का निर्माण करवाया। 15 फरवरी 1556 को कलानौर के पूर्व दिशा की ओर हिमांयू की मौत के बाद अकबर की ताजपोशी हुई। अकबर का वफादार सैनिक के उच्चाधिकारी ताज खान के लड़के जमील बेग का मकबरा भी अकबर की ताजपोशी वाले स्थान के पास है। जमील बेग अकबर के समय पहाड़ी राजाओं से लड़ता हुआ मारा गया था। 1710 से 1715 तक कलानौर का क्षेत्र बाबा बंदा सिंह बहादुर की कार्रवाईयों का केंद्र रहा। बाहरी हमलों व रावी और किरन के बाढ़ ने कलानौर को करीब बेआबाद कर दिया। 18

    ऐतिहासिक स्थलों को देखने आने वाले सैलानियों के लिए सुविधाओं का प्रबंध हो

    प्रो. शर्मा ने कहा कि अमृतसर पठानकोट रेलवे लाइन 1884 के निर्माण के दौरान कलानौर और इसके आसपास इमारतों का मलबा अंग्रेज सरकार ने उक्त रेलवे लाइन के निर्माण के लिए प्रयोग में लिया। इसके अलावा कलानौर के साथ लगते गांव कोट मियां साहिब में मुस्लमान फकीर हाजी हुसैन शाह की दरगाह भी है। उन्होंने कहा कि हमें कलानौर के ऐतिहासिक स्थलों की संभाल रखनी बेहद जरूरी है। देश विदेश से इन ऐतिहासिक स्थलों को देखने आने वाले सैलानियों के लिए इसमें बुनियादी सुविधाएं जैसे विश्राम घर, पार्किग आदि का निर्माण और प्राचीन शिव मंदिर के पास हुए अवैध कब्जों को हटाना अति जरूरी है। पंजाब व केंद्र सरकार कलानौर के पवित्र धार्मिक स्थलों के लिए विशेष प्रयत्न करें।