कलानौर गन्ना रिसर्च सेंटर की 100 एकड़ जमीन बंजर, आस-पास मंडरा रहे डहरीले सांप; कहां सोया प्रशासन?
कलानौर में गन्ना खोज केंद्र की 100 एकड़ जमीन बंजर हो गई है, क्योंकि सरकार ने इस पर ध्यान नहीं दिया। फंड की कमी के कारण रिसर्च सेंटर का काम रुक गया है, ...और पढ़ें

गन्ना खोज केंद्र की सोने जैसी 100 एकड़ जमीन बनी बंजर (फोटो: जागरण)
महिंदर सिंह अर्लीभन्न, कलानौर। पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान कलानौर पंचायत की 100 एकड़ उपजाऊ जमीन पर बन रहे गुरु नानक देव शुगरकैन रिसर्च एंड डवलपमेंट इंस्टीट्यूट (गन्ना रिसर्च सेंटर) का काम बंद होने से आसपास के किसान निराश हैं।
पहले फेज के बाद सरकार की तरफ से फंड जारी न होने की वजह से गन्ना रिसर्च सेंटर ठंडे बस्ते में चला गया। इसकी जमीन बंजर हो गई है और खतरनाक जानवरों और जहरीले सांपों का घर बन गई है।
इससे आसपास के किसान डर के साए में जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं। इंस्टीट्यूट के गेट पर ताले लटके हुए हैं और इसकी मशीनरी को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है।
सेंटर के अंदर बने कमरे भी रखरखाव के अभाव में खराब हो रहे हैं। गौर हो कि 47 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाले गन्ना खोज केंद्र का उद्घाटन 12 दिसंबर 2021 को पंजाब के पूर्व सहकारिता मंत्री और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर रंधावा ने किया था। तत्कालीन सरकार ने गन्ना खोज केंद्र बनाने के लिए ग्राम पंचायत कलानौर की 100 एकड़ जमीन एक्वायर की थी।
गन्ना रिसर्च सेंटर बनाने के दौरान पहले फेस में नौ गन्ना मिलों से मिली करीब 1 करोड़ 52 लाख रुपये की रकम से 100 एकड़ जमीन के चारों ओर तार लगाने के अलावा मेन गेट, आफिस कैंपस, ट्रैक्टर, गन्ना बोने की सुविधा, स्टाफ और जमीन व जमीन के रखरखाव का इंतजाम किया गया था।
इसके अलावा गन्ने की टेस्टिंग के लिए चार लैब और आठ ट्यूबवेल बनाने का प्रस्ताव था और तीन ट्यूबवेल के लिए बोर भी किए गए थे। इस गन्ना रिसर्च सेंटर में कीड़ों की जांच के लिए लैब, बायो-कंट्रोल यूनिट, टिशू कल्चर यूनिट, गन्ना जूस यूनिट, खेतीबाड़ी ट्रेनिंग सेंटर, गन्ने के पौधे तैयार करने की ट्रेनिंग, कामर्शियल यूनिट, रेस्ट हाउस आदि सुविधाएं मिलनी थीं।
हालांकि पहले फेज के बाद सरकार की तरफ से फंड जारी न होने की वजह से यह गन्ना रिसर्च सेंटर ठंडे बस्ते में चला गया। इसके बाद सत्ता में आई आम आदमी पार्टी की सरकार ने जून 2023 में श्री गुरु नानक देव गन्ना रिसर्च एंड डवलपमेंट इंस्टीट्यूट, पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी लुधियाना को गन्ना रिसर्च सेंटर को सौंपने की मंजूरी दी। इसके बावजूद अभी तक कोई भी डिपार्टमेंट गन्ना रिसर्च सेंटर को अपने में नहीं ले रहा है।
गन्ना रिसर्च सेंटर से जुड़े किसान जगदीप सिंह, रणजीत सिंह, जसबीर सिंह, कश्मीर सिंह आदि ने बताया कि कलानौर ग्राम पंचायत की उपजाऊ 100 एकड़ जमीन में बनने वाला गन्ना रिसर्च सेंटर सफेद हाथी बन गया है।
उन्होंने बताया कि गन्ना रिसर्च सेंटर की देखभाल न होने से पंचायत की 100 एकड़ जमीन जंगल का रूप ले चुकी है और इस जमीन पर जहरीले बड़े सांप, जंगली सूअर, खूंखार जानवर अपना रैन बसेरा बना चुके हैं।
जगदीप सिंह ने बताया कि गन्ना रिसर्च की जमीन जंगल का रूप धारण करने के चलते खेतों में बड़े-बड़े सांप दिखाई दे रहे हैं। जगदीप सिंह ने सांप दिखाते हुए बताया कि इन सांपों के डर से वे अपने गेहूं के खेत में सिर्फ दिन में ही पानी दे रहे हैं।
किसान जम्हूरी किसान सभा के जिला अध्यक्ष हरजीत सिंह काहलों ने कहा कि पहले ग्राम पंचायत कलानौर की उक्त 100 एकड़ जमीन कई परिवार लीज पर लेकर अपने परिवार का पेट पालते थे। यह जमीन गन्ना रिसर्च सेंटर को देने के बाद ग्राम पंचायत को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
गन्ना रिसर्च सेंटर के बारे में शुगरफेड के प्रबंधक निर्देशक सेनू दुगल ने कहा कि पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी पंजाब ने पहले इस रिसर्च सेंटर की जमीन अपने नाम करने का आफर दिया था, लेकिन यह आफर स्वीकार नहीं किया गया।
उन्होंने कहा कि शुगरफेड आने वाले फरवरी महीने में इस गन्ना रिसर्च सेंटर की जमीन पर गन्ने की बुआई करेगा। इस संबंधी अधिकारियों के साथ बैठक हो चुकी है। उन्होंने बताया कि फिलहाल सरकार की ओर से गन्ना रिसर्च सेंटर का प्रोजेक्ट काम रुका है।

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