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    जिले की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले सुच्चा सिंह लंगाह, निर्मल सिंह काहलों व सुशीला महाजन इस बार नहीं आ रहे नजर

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 12 Feb 2022 10:40 PM (IST)

    20 फरवरी को विधानसभा चुनाव 2022 होने जा रहे है।

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    जिले की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले सुच्चा सिंह लंगाह, निर्मल सिंह काहलों व सुशीला महाजन इस बार नहीं आ रहे नजर

    जागरण संवाददाता, गुरदासपुर : 20 फरवरी को विधानसभा चुनाव 2022 होने जा रहे है। इस बार के चुनावों में कई बड़े बदलाव देखने को मिल रहे है। जिले की राजनीति की बात की जाए तो कई ऐसे बड़े चेहरे है, जो कि विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका में होते थे। लेकिन इस बार गुमनामी के अंधेरे में नजर आ रहे है। इन नेताओं का कभी जिले के साथ-साथ पूरे पंजाब और अपनी पार्टी में भी पूरा दबदबा होता था। लेकिन आज स्थिति यह हो गई है कि यह नेता हाशिए पर चले गए है। गौरतलब है कि जिला गुरदासपुर की राजनीति के बड़े चेहरों में शामिल रहे पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह लंगाह, निर्मल सिंह काहलों, कैप्टन बलबीर सिंह बाठ व सुशील महाजन का नाम शामिल है। यह सभी लोग पंजाब सरकारों में मंत्री रह चुके है। लेकिन इस बार के चुनाव में इनकी कोई सक्रियता नजर नहीं आ रही। सुच्चा सिंह लंगाह- शिरोमणि अकाली दलबादल के लंबे समय तक जिला प्रधान रहे सुच्चा सिंह लंगाह का कभी पार्टी में काफी दबदबा था। सुच्चा सिंह लंगाह 1997 व 2007 में चुनाव जीते और दोनों ही बार अकाली सरकार में मंत्री बने। 1997 में उन्हें पीडब्लयूडी व 2007 में कृषि विभाग दिया गया। 2017 में वह विधानसभा हलका डेरा बाबा नानक से अपने विरोधी कांग्रेसी उम्मीदवार सुखजिदर सिंह रंधावा से मात खा गए। इसके कुछ समय बाद ही लंगाह दुष्कर्म के आरोपों में घिर गए। जिसके चलते पार्टी द्वारा उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। कोर्ट से तो लंगाह बरी हो गए, लेकिन पार्टी ने उन्हें दोबारा बहाल नहीं किया और न ही टिकट दिया। कैप्टन बलबीर सिंह बाठ- कैप्टन बलबीर सिंह बाठ विधानसभा हलका श्रीहरगोबिदपुर से अकाली दल की ओर से चुनाव लड़ते रहे। उन्होंने 1997, 2002 व 2007 में लगातार तीन बार जीत हासिल करके हेट्रिक बनाई। जबकि 2012 में इस हलके को एससी आरक्षित घोषित कर दिया गया। जिसके चलते लगातार जीतने के बावजूद भी चुनाव मैदान में से बाहर हो गए। क्योंकि पार्टी द्वारा उन्हें और भी किसी हलके से टिकट नहीं दिया गया। निर्मल सिंह काहलों- विधानसभा हलका फतेहगढ़ चूडिय़ां से तीन बार जीत चुके निर्मल सिंह काहलों विधानसभा स्पीकर तक रह चुके है। काहलों ने अकाली दल की ओर से 1985, 1997 व 2007 में जीत हासिल कर पार्टी में अहम स्थान बनाया। जिसके चलते उन्हें पार्टी द्वारा विधानसभा स्पीकर भी बना दिया गया था। 2017 में वह कांग्रेसी उम्मीदवार तृप्त राजिदर सिंह बाजवा से हार गए थे। इस बार वह उम्र अधिक होने के चलते खुद ही अपनी जगह बेटे को टिकट देने की मांग कर रहे थे। जिसके चलते पार्टी द्वारा निर्मल सिंह काहलों को सुच्चा सिंह लंगाह के हलके डेरा बाबा नानक से चुनाव मैदान में उतारा गया। सुशील महाजन- कांग्रेस पार्टी की ओर से सुशील महाजन ने दो बार चुनाव लड़ा। पार्टी द्वारा एक बार उन्हें विधानसभा हलका गुरदासपुर और दूसरी बार धारीवाल से चुनाव लड़ाया गया। सुशील महाजन ने 1985 व 1992 में दो बार जीत दर्ज करवाई, लेकिन इस चुनाव में उनकी कोई भी भूमिका नजर आ रही है और वह राजनीति में सरगर्म है।

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