जो कभी बन गया था नशे का ‘कैदी’, आज बना नशा पीड़ितों का मसीहा; गुरदासपुर के पंकज की प्रेरणादायक कहानी
गुरदासपुर के पंकज महाजन जो कभी नशे के शिकार थे आज दूसरों को नशामुक्त जीवन जीने की प्रेरणा दे रहे हैं। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था लेकिन उन्होंने अपनी लत से मुक्ति पाई और अब सैकड़ों युवाओं को नशा छोड़ने में मदद कर रहे हैं। मिशन निश्चय के ब्रांड एंबेसडर बनकर उन्होंने 800 से अधिक सेमिनार किए और 700 से ज़्यादा युवाओं को नशामुक्त किया।

सुनील थानेवालिया, गुरदासपुर। कभी नशे की गिरफ्त में फंसे गुरदासपुर के पंकज महाजन को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अपनी लत के चलते उसने परिवार, सम्मान और शरीर तक खो दिया, लेकिन वह संभला और आज वही पंकज नशा छोड़कर सैकड़ों युवाओं को नई जिंदगी दे रहा है। इतना ही नहीं, पंजाब पुलिस ने उसे अपनी नशामुक्ति मुहिम ‘मिशन निश्चय’ का ब्रांड एंबेसडर भी बनाया है। इस मुहिम से जुड़कर पंकज अब तक 800 से ज्यादा सेमिनार लगा चुके हैं और 700 से ज्यादा युवाओं को नशामुक्त कर चुके हैं। इसके लिए उन्हें कई सम्मान भी मिल चुके हैं।
गुरदासपुर की राम शरणम कालोनी निवासी पंकज महाजन जब स्कूल में पढ़ता था, तो शायद उसने भी सुखी परिवार और कामयाबी के सपने देखे होंगे। हालांकि नशे के अंधेरे ने उसकी जिंदगी को इस कदर निगला कि वह अपनी ही बेटी के सोने के कंगन बेचने पर मजबूर हो गया।
पंकज बताते हैं कि जब वे स्कूल में पढ़ते थे दोस्तों के साथ शराब पीनी शुरू कर दी। इसके बाद दोस्तों ने अन्य नशे का सेवन करवा दिया। उसने नशे के लिए पहले अपनी बेटी के कंगन और फिर अपनी स्कूटी तक बेच दी।
धीरे-धीरे हालात ऐसे हो गए कि दिन की शुरुआत नशे से होती थी। नशा न मिले तो जीना मुश्किल लगता था। यह कहते हुए पंकज की आंखें नम हो जाती हैं कि उसकी नशे की लत के कारण पत्नी उसे छोड़कर चली गई और तलाक हो गया।
इस बीच एक बार पुलिस ने उसे नशा करते हुए पकड़ लिया। जेल गया तो रिश्तेदारों ने भी किनारा कर लिया। शरीर इतना टूट चुका था कि नसें जवाब देने लगीं। फिर उसने आत्महत्या करने की ठान ली। मगर किस्मत ने उसे बचा लिया।
इसके बाद पंकज के जीवन में नया मोड़ आ गया। उसने तय कर लिया कि अब नशा नहीं करेगा। यह राह आसान नहीं थी, लेकिन उसने अपनी कमजोरियों को ताकत में बदलने का प्रण लिया। धीरे-धीरे उसने खुद को नशे की गिरफ्त से बाहर निकाला। एक दिन पुलिस ने उसे नशा छोड़ने पर सम्मानित किया। उस दिन उसने सोचा कि वह नशे की दलदल में फंसे अन्य लोगों को भी निकालेगा।
दोस्तों के साथ बनाया ‘फ्रीडम फ्रॉम ड्रग्स’ ग्रुप
खुद को संभालने के बाद पंकज ने तय किया कि अब वह दूसरों को बचाएगा। 14 जुलाई 2017 को अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर उसने ‘फ्रीडम फ्रॉम ड्रग्स’ ग्रुप बनाया। इस ग्रुप का तरीका अनोखा था। बिना किसी दवाई के, नशे में फंसे युवाओं को साथ रखकर उन्हें नशे से दूर किया जाता है।
अच्छे माहौल में रहकर वे धीरे-धीरे नशा छोड़ देते। आज इस ग्रुप की पंजाब में चार टीमें हैं। पंकज कहते हैं कि नशा धीरे-धीरे इंसान की रूह को मार देता है। इसे जितनी जल्दी छोड़ दो, उतना अच्छा है।
उनका कहना है कि नशे के खिलाफ जंग में सबसे बड़ी ताकत खुद का हौसला है। अगर आप खुद से लड़ने का मन बना लें तो नशा छोड़ना कोई बड़ी चीज नहीं।
बाजू पर टैटू में लिखी अपनी कहानी
पंकज ने अपनी बाजू पर अपनी जिंदगी की पूरी कहानी टैटू के रूप में गुदवा ली है। वह सेमिनारों में युवाओं को यह टैटू दिखाकर नशा छोड़ने की प्रेरणा देता है। इतना ही नहीं, आज 50 से ज्यादा युवाओं ने पंकज के नाम का टैटू बनवा लिया है। वे उसे अपना आदर्श मानते हैं।
राज्यपाल और एसएसपी ने की सराहना
पंकज पंजाब पुलिस अकादमी फिल्लौर में अधिकारियों को नशामुक्ति से जुड़े सेमिनार करने की ट्रेनिंग भी देते हैं। वर्ष 2023 में गुरदासपुर में तत्कालीन राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और तत्कालीन एसएसपी गुरदासपुर दयामा हरीश कुमार ओम ने भी पंकज की पीठ थपथपाई और उनके काम को सराहा।
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