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    ब्यास नदी में बढ़े जलस्तर से टेंशन में गुरदासपुर के किसान, जलमग्न हुई धान-गन्ने की फसल; सरकार से सहायता की अपील

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 04:08 PM (IST)

    ब्यास दरिया में जलस्तर बढ़ने से किसानों की चिंता बढ़ गई है जिससे तलवाड़ा रामपुर जैसे इलाकों में फसलें डूब गई हैं। धान गन्ना जैसी फसलें बर्बाद होने से किसानों को भारी नुकसान हुआ है और उनकी जमीन भी बह गई है। किसान सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं ताकि उन्हें राहत मिल सके और वे इस आर्थिक संकट से उबर सकें।

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    ब्यास नदी में बढ़े जलस्तर से जलमग्न हुई धान-गन्ने की फसल (फोटो: जागरण)

    जसपाल सिंह, श्रीहरगोबिंदपुर साहिब। ब्यास दरिया में आई बाढ़ ने पहले ही हजारों एकड़ फसल को नष्ट कर दिया था, और जब पानी का स्तर कम हुआ तो लोगों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन अब फिर से दरिया में पानी का स्तर बढ़ने से किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं।

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    इस बाढ़ ने तलवाड़ा, रामपुर, श्रीहरगोबिंदपुर साहिब, समराए कांगड़ा और माड़ी बुच्चियां जैसे इलाकों में किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। तलवाड़ा निवासी गुरमुख सिंह और गुरदीप सिंह ने बताया कि पिछली बाढ़ में ब्यास दरिया के किनारे बसे इन गांवों में हजारों एकड़ फसल पानी की चपेट में आकर नष्ट हो गई थी।

    उन्होंने कहा कि पानी का सारा बहाव अब श्रीहरगोबिंदपुर साहिब की ओर आ रहा है। अगर एक सप्ताह तक इसी गति से पानी चलता रहा, तो ब्यास दरिया रामपुर तलवाड़ा गांव को भारी नुकसान पहुंचाएगा, जिससे बहुत बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।

    इस बाढ़ का सबसे ज्यादा असर स्थानीय किसानों पर पड़ा है। किसान रणजीत सिंह, हरभजन सिंह, जसदीप सिंह, गुरप्रीत सिंह और जसकर्ण सिंह जैसे कई किसानों की धान, पापूलर और गन्ने की फसलें दरिया की भेंट चढ़ गई हैं।

    न केवल फसलें बर्बाद हुई हैं, बल्कि उनकी जमीन भी दरिया अपने साथ बहा ले गया है। किसानों का कहना है कि अभी भी लगातार पानी जमीन को अपनी चपेट में ले रहा है, जिससे स्थिति और भी गंभीर होती जा रही है।

    किसानों का कहना है कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी विकट हो सकती है। किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है और जल्द से जल्द राहत पहुंचाने की मांग की है।

    इस बाढ़ ने न केवल किसानों की आजीविका को प्रभावित किया है, बल्कि पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी झकझोर दिया है। ब्यास दरिया के किनारे बसे इन गांवों में कृषि ही लोगों के जीवनयापन का मुख्य स्रोत है, और फसलों के नष्ट होने से उनकी आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है। स्थानीय लोगों ने दरिया के किनारों को मजबूत करने और बाढ़ नियंत्रण के उपायों को तेजी से लागू करने की मांग की है।

    इस आपदा ने एक बार फिर से प्रकृति के सामने मनुष्य की असहायता को उजागर किया है। किसानों ने साल भर मेहनत करके जो फसलें उगाई थीं, वे कुछ ही घंटों में बर्बाद हो गईं। इस समय, पूरा क्षेत्र बाढ़ के पानी से जूझ रहा है, और लोगों की एकमात्र उम्मीद सरकारी मदद और बेहतर प्रबंधन पर टिकी है। आने वाले दिनों में मौसम की स्थिति और ब्यास दरिया के पानी के स्तर पर निर्भर करेगा कि यह संकट और कितना गहराता है।