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    Punjab News: भीषण गर्मी का प्रकोप जारी, ठंडा पानी पीने के लिए मिट्टी के मटकों की ब्रिकी बढ़ी

    भीषण गर्मी में लोग ठंडा पानी पीने के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग कर रहे हैं। प्लास्टिक के वाटर कूलर की जगह मिट्टी के मटके और सुराही की मांग बढ़ गई है। विक्रेता बताते हैं कि राजस्थान से बने मिट्टी के बर्तन अपनी सुंदरता के कारण पसंद किए जा रहे हैं। डॉक्टर का कहना है कि मिट्टी के बर्तनों का पानी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

    By Sunil Kumar Edited By: Suprabha Saxena Updated: Wed, 11 Jun 2025 06:27 PM (IST)
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    भीषण गर्मी का प्रकोप जारी, ठंडा पानी पीने के लिए मिट्टी के मटकों की ब्रिकी बढ़ी

    महिंदर सिंह अर्लीभन्न, कलानौर। पिछले कुछ दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी ने न केवल मानव जीवन बल्कि पशु-पक्षियों को भी परेशान कर रखा है। गर्मी के मौसम में लोग प्लास्टिक के वाटर कूलर से मुंह मोड़कर ठंडा पानी पीने के लिए मिट्टी से बने मटके, सुराही आदि की खरीददारी कर रहे है।

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    इस संबंध में जानकारी देते हुए मिट्टी के मटका, सुराही आदि का कारोबार करने वाले नरिंदर पाल सिंह व गुरबख्श सिंह ने बताया कि बढ़ती गर्मी के कारण लोग बड़े पैमाने पर ठंडा पानी पीने के लिए मिट्टी से बने मटके खरीद रहे हैं। उन्होंने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्र के लोग जहां पहले स्थानीय स्तर पर बने मिट्टी के मटकें खरीदते थे,

    वहीं अब वे राजस्थान से बने-बनाए मिट्टी के मटके व सुराही आदि खरीदना पसंद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान के कारीगरों द्वारा बनाए गए मिट्टी के बर्तनों पर किया गया काम मिट्टी के बर्तनों को खूबसूरत बनाता है, जिसके कारण लोग राजस्थान में बने बर्तनों को खरीद रहे हैं।

    उन्होंने कहा कि मिट्टी के बर्तनों की बिक्री का कारण जहां गर्मी को माना जा रहा है, वहीं इस क्षेत्र में नल व मोटर का पानी दूषित होने के कारण लोग मिट्टी के बर्तनों का पानी पीना पसंद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस समय बाजार में मिट्टी के बर्तनों के अलावा मिट्टी के थर्मस (मिट्टी के पानी की बोतल), जग, गिलास, कप, कराहियां, फ्राई पैन और यहां तक कि रोटी पकाने के लिए मिट्टी के तवे भी बिक रहे हैं।

    इस अवसर पर मिट्टी के बर्तन खरीद रहे गांव भंडाल के गुरविंदर सिंह, राजवंत सिंह, हरबंस सिंह, बलदेव सिंह, सरजीत कौर ने कहा कि वे हर साल गर्मी के मौसम में प्लास्टिक के वाटर कूलर का पानी पीने की बजाय मिट्टी के बर्तनों का पानी पीते हैं।

    उन्होंने कहा कि चार-पांच दशक पहले भी बचपन में हमारे बुजुर्ग मिट्टी के बर्तनों में पानी रखते थे। गेहूं की कटाई के दौरान भी मटके का पानी पीकर ही कटाई की गई। उन्होंने कहा कि मिट्टी के मटकों का पानी पीने में शुद्ध और स्वादिष्ट माना जाता है। उन्होंने कहा कि फ्रिज का ठंडा पानी गले में जलन पैदा करता है। मिट्टी के मटकों का प्राकृतिक रूप से ठंडा पानी गले को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि यह पानी प्यास बुझाता है और इस पानी को पीने से भूख भी बढ़ती है।

    मेडिसिन विशेषज्ञ डा. अरविंद मनचंदा ने कहा कि मिट्टी के मटकों व सुराही का पानी पीना फायदेमंद है, क्योंकि मिट्टी के मटके के पानी में खनिज तत्व पैदा होते हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। उन्होंने कहा कि मिट्टी के बर्तन का पानी न तो ज्यादा ठंडा होता है और न ही ज्यादा गर्म और इसका पानी ठंडा पीने से गले में जलन नहीं होती, जबकि फ्रिज और बर्फ का बहुत ज्यादा ठंडा पानी पीने से गले में जलन होने की संभावना रहती है।