गौरव: पूर्व एयरफोर्स अफसर पिता का हो रहा था अंतिम संस्कार, उसी दिन बेटी बनी नेवी अफसर
यह दुख और गौरव दोनों के पल थे। पूर्व एयरफाेर्स ऑफिसर पिता का अंतिम संस्कार हो रहा था और उसी दिन बेटी नेवी ऑफिसर बनी।
गुरदासपुर, [बाल कृष्ण कालिया]। यह गम और गौरव दाेनों के पल थे। पूर्व एयरफोर्स ऑफिसर पिता का अंतिम संस्कार हो रहा था और बेटी नेवी अफसर बन गई थी। जिले के गांव आलोवाल में एयरफोर्स के पूर्व ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो रहा था, वहीं 500 किलोमीटर दूर 22 वर्षीय बेटी कुंजदीप कौर पिता का सपना साकार करने के लिए आखिरी चुनौती पार कर रही थी।
मन में पिता का साया उठ जाने का सबसे बड़ा दुख था और आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे, लेकिन पिता के सपनों ने बेटी की हिम्मत नहीं टूटने दी। शहीद चीमा चाहते थे कि बेटी सैन्य अफसर बने। यह सपना पूरा कर बेटी ने शहीद पिता को श्रद्धांजलि दी। कुंजदीप ने नेवी में सब लेफ्टिनेंट बनने के लिए मेडिकल फिटनेस की अंतिम चुनौती बुधवार को ही पार की।
पटियाला में एनसीसी कैडेट्स को विमान उड़ाने का प्रशिक्षण देते समय जान गई थी ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा की
सोमवार को पटियाला में एनसीसी कैडेट्स को प्रशिक्षण देते समय ग्रुप कैप्टन जीएस चीमा का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में चीमा की जान चली गई थी। बेटी कुंजदीप के सीने में पिता का साया खोने का दर्द था, लेकिन उसने ठान लिया कि वह पिता का सपना पूरा करने के लिए दिल्ली जाएगी। कुंजदीप के हौसले की सभी तारीफ कर रहे हैं। कुंजदीप ने मंगलवार को पटियाला में शहीद पिता को श्रद्धांजलि दी थी। इसके बाद वह दिल्ली रवाना हो गई थी।
बेटा बोला, पापा कहते थे मुसीबतों से कभी डरना मत
बुधवार को जब शहीद चीमा की पार्थिव देह श्मशानघाट ले जाई जा रही थी तो उनकी मां सर्वजीत कौर व पत्नी नवनीत कौर का विलाप पत्थरों का सीना भी छलनी कर रहा था। 13 वर्षीय बेटे भवगुरनीत सिंह ने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। भवगुरनीत ने कहा कि पापा कहते थे कि मुसीबतों से कभी डरना मत, उनका मुकाबला करना। ग्रुप कैप्टन को अंतिम विदाई देने डीसी मोहम्मद इशफाक, एसडीएम सकत्तर सिंह बल्ल, तहसीलदार धारीवाल निर्मल सिंह, शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की, पूर्व मंत्री सुच्चा सिंह छोटेपुर व अन्य भी पहुंचे थे।
मां बोली, बेटे ने बहुत विमान उड़ाए
ग्रुप कैप्टन चीमा की मां सर्वजीत कौर की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे। वह बार-बार यही कर रही थीं कि बेटे ने बहुत विमान उड़ाए। जनवरी में घर आया था। मुझे एक कोट लेकर दे गया था।
फूट-फूटकर रोए सैनिक स्कूल के साथी
चीमा की शिक्षा सैनिक स्कूल कपूरथला से हुई थी। उन्हें अंतिम विदाई देने उनके स्कूल के 20 साथी भी पहुंचे थे। दोस्त से बिछुडऩे के गम में सभी फूट-फूटकर रोए। सेवानिवृत शिक्षक एसएस आहलूवालिया व भूपिंदर सिंह ने बताया कि चीमा उच्च श्रेणी के बॉक्सर भी थे। एक बार वह स्कूल में हेलिकॉप्टर लेकर आए थे और तिरंगा लहराते हुए स्कूल के चक्कर लगाए थे।
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