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    गुरदासपुर में बाढ़ का संकट, खेतों में भरा ब्यास नदी का पानी; खतरे में कई गांव

    हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण पौंग डैम से पानी छोड़ने के बाद ब्यास नदी में जल स्तर बढ़ गया है। टांडा और गलेलड़ा के खेतों में पानी भरने के बाद यह धुस्सी बांध तक पहुंच गया जिससे ग्रामीणों में साल 2023 की बाढ़ जैसी स्थिति बनने का डर है।

    By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Sat, 23 Aug 2025 05:49 PM (IST)
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    गुरदासपुर के कई गांवों में बाढ़ का संकट। फोटो जागरण

    संवाद सूत्र, काहनूवान (गुरदासपुर)। हिमाचल प्रदेश सहित पंजाब के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में हो रही मानसून के कारण डैमों के पानी का स्तर लगातार बढ़ रहा है। डैमों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दरिया ब्यास में पौंग डैम से पानी छोड़ा जा रहा है। इसके बाद दरिया ब्यास में पानी का स्तर शनिवार सुबह से ही बढ़ना शुरु हो गया था।

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    शनिवार की शाम पांच बजे तक टांडा और गलेलड़ा के खेतों में भरने के बाद यह पानी दरिया ब्यास के धुस्सी बांध तक पहुंच गया था। इसके बाद जब गांव गलेलड़ा और टांडा के लोगों को पता चला तो बड़ी संख्या में लोग दरिया ब्यास पर पानी का स्तर देखने के लिए पहुंच गए।

    लोगों का कहना है कि भले ही रिहायशी इलाकों से अभी पानी दूर है, मगर यदि ब्यास के पानी का स्तर बढ़ता है तो इससे धुस्सी बांध को खतरा हो सकता है।

    दरिया ब्यास पर पहुंचे जतिंदर कुमार, रजेश सिंह, लूना सिंह, सेवक सिंह, अवतार सिंह और जोगिंदर सिंह ने बताया कि 2023 में आए बाढ़ के कारण जहां पर उनकी फसलों का भारी नुक्सान हुआ था, वहीं उनके घरों और पशुओं पंछियों को भी काफी नुक्सान पहुंचा था। आज फिर से दरिया में पानी का स्तर बढ़ा है। जिससे उनके मन में यह चिंता है कि साल 2023 की तरह हालात फिर से न बन जाए।

    उन्होंने बताया कि दो दिन पहले ब्यास दरिया में दो फीट नीचे पानी बह रहा था, मगर पौंग डैम से 75 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के चलते दरिया ब्यास में पानी का स्तर काफी बढ़ा है और यह पानी धुस्सी बांध तक पहुंच गया है। भले ही जिला प्रशासन ये कह रहा है कि धुस्सी बांध को कोई खतरा नहीं है, मगर जिस तरह से दरिया का पानी धुस्सी बांध तक पहुंच गया है।

    यदि पानी का स्तर दरिया में और बढ़ता है तो धुस्सी बांध को खतरा पहुंच सकता है। मौसम विभाग ने भी ये भविष्यवाणी की हुई है कि आगामी दो दिनों में बारिश होने की संभावना है। यदि मैदानी इलाकों में भी ज्यादा बारिश होती है तो इलाके इस क्षेत्र को खाली करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।