Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    पंजाब के किसानों के लिए खुशखबरी, DDW 332 गेहूं किस्म लाएगी बंपर मुनाफा

    Updated: Thu, 23 Oct 2025 04:39 PM (IST)

    पंजाब में गेहूं की बुआई चल रही है। वैज्ञानिकों ने डीडीडब्लयू 332 किस्म विकसित की है, जो किसानों के लिए मुनाफे का सौदा हो सकती है। इसकी उपज क्षमता 79 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से अधिक है और यह पीली कंगियारी रोग प्रतिरोधी है। बुवाई का उचित समय 20 अक्टूबर से 5 नवंबर तक है। उचित सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन से अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है।

    Hero Image

    किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है किस्म डीडीडब्लयू 332 (फोटो: जागरण)

    संवाद सूत्र, काहनूवान। पंजाब में रबी की मुख्य फसल गेहूं की बिजाई का काम पूरे जोरों पर पर चल रहा है। ऐसे में भारतीय गेहूं और जौ अनू संधान संस्था के वैज्ञानियों ने गेहूं की सबसे अधिक झाड़ देने वाली किस्म डीडीडब्लयू 332 को विकसित किया है, जो किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित होगी। ये किस्म किसानों को बंपर पैदावार देने के साथ बीमारियों से लड़ने की समर्था रखने के लिए मजबूत बताई जा रही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    खेती वैज्ञानियों के अनुसार डीबीडब्लयू 332 किस्म की गेहूं की औसत उपज 79 क्विटंल से ऊपर है, जो गेहूं की पुरानी किस्म 2967 से 31.4 फीसदी और सियासी से 12 फीसदी अधिक है। वैज्ञानी इस किस्म को लेकर जहां तक भी दावा किया है कि यदि गेहूं की फसल के लिए वातावरण अनुकूल रहता है तो इसकी उपज 83 क्विटंल प्रति हेक्टेयर तक जा सकती है। इसके अलावा यह किस्म पीली कंगियारी रोग प्रति पूरी तरह से प्रतिरोधी है।

    साथ ही करनाल बंट रोग के खिलाफ भी इस किस्म की प्रतिरोधक समर्था दूसरा किस्मों से बेहतरपाई गई है। गेहूं की इस किस्म संबंधी जानकारी देते हुए पूर्व खेती वैज्ञानिक डाक्टर एचएस धालीवाल ने बताया कि बंपर पैदावार लेने के लिए इस किस्म की बुवाई का उचित समय 20 अक्तूबर से लेकर पांच नवंबर तक बेहतर है। बिजाई समय लाइनों में अंतर भी सेंटीमीटर होना जरूरी है।

    उन्होंने बताया क इस किस्म को बीजने से पहले दो से तीन ग्राम विटावेक्स दवाई के साथ शोध लिया जाए। इस किस्म की गेहूं के लिए पहला पानी 20 से 25 दिन के बाद लगा देना चाहिए। इस किस्म को पांच से छह बार पानी देने की जरूरत है। अच्छी फसल के लिए प्रति हेक्टर 150 किलोग्राम नाईट्रोजन, 60 किलोग्राम फासफोर्स और 40 किलोग्राम पोटाश की जरूरत है।