गुरदासपुर में दो भाइयों की मौत के पीछे वर्चस्व की लड़ाई, दबदबे के लिए बने एक-दूसरे के खून के प्यासे
मनजीत सिंह मीतू की मां गुरमीत कौर सरपंच है जबकि हरदयाल की पत्नी भी सरपंच रह चुकी थी। मनजीत ही गांव में सभी विकास कार्य करवाता था। पिछले दिनों हरदयाल कांग्रेस में शामिल हो गया था। इसके बाद से उसकी मनजीत के साथ तकरार होने लगी थी।

डेरा बाबा नानक (गुरदासपुर), [महिंदर सिंह अर्लीभन्न]। कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा के विधानसभा क्षेत्र डेरा बाबा नानक के गांव मछराला में माघी के दिन फायरिंग में जान गंवाने वाले चचेरे भाई मनजीत व हरदयाल वर्चस्व की लड़ाई में एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। क्षेत्र में दबदबा कायम करने के प्रयास में उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और दो घरों में मातम का अंधेरा छा गया।
मनजीत सिंह मीतू की मां गुरमीत कौर सरपंच है जबकि हरदयाल की पत्नी भी सरपंच रह चुकी थी। सरपंच की ओर मनजीत ही गांव में सभी विकास कार्य करवाता था। इसी दौरान उसका चचेरा भाई और मार्केट कमेटी डेरा बाबा नानक का चेयरमैन हरदयाल भी अकाली दल से कांग्रेस में शामिल हो गया। इस कारण कुछ दिनों से हरदयाल भी गांव के विकास कार्यों में दिलचस्पी दिखा रहा था। वीरवार को जब वह श्मशानघाट का निर्माण करवाने के लिए मिस्त्री व मजदूरों के साथ पहुंचा तो मनजीत वहीं मौजूद था। इस दौरान दोनों में तकरार हो गई। मनजीत ने हरदयाल पर गोलियां चला दी। इसके बाद हरदयाल की तरफ से भी गोलियां चलाई गईं। मनजीत की मौके पर ही मौत हो गई जबकि हरदयाल ने अमृतसर में दम तोड़ा। मनजीत व हरदयाल ने सोचा भी नहीं होगा कि जिस श्मशानघाट को लेकर वे झगड़ा कर रहे हैं। एक-दो दिन बाद वहीं पर दोनों का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
चार बच्चों के सिर से उठा पिता का साया
मनजीत सिंह की एक लडकी व एक लड़का है। उनकी आयु 12 व 14 साल है। जबकि हरदयाल के दो बेटे हैं। एक 13 साल का व दूसरा तीन साल का है। पूर्व सरपंच रछपाल सिंह ने बताया कि उनके गांव में लंबे समय से सर्वसम्मति से पंचायतें बन रही हैं। इस बार पंचायत चुनाव हुआ था। उक्त दोनों चचेरे भाइयों का परिवार गांव में पहलवानों के परिवार के नाम से जाना जाता है। एक ही परिवार के दो बड़े नामवर व नौजवानों की मौत से गांव में तनाव व दहशत का माहौल बना हुआ है।
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