गुरदासपुर में मनरेगा का नाम बदलने पर कांग्रेस ने जताया जबरदस्त विरोध, फूंका केंद्र सरकार का पुतला
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मनरेगा का नाम बदलने और योजना में बदलाव के विरोध में गुरदासपुर में रोष मार्च निकाला। विधायक बरिंदरमीत सिंह पाहड़ा के नेतृत्व म ...और पढ़ें

कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने मनरेगा का नाम बदलने और योजना में बदलाव के विरोध में गुरदासपुर में रोष (फोटो: जागरण)
जागरण संवाददाता, गुरदासपुर। केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा का नाम बदले जाने और योजना में किए गए बदलावों के विरोध में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने रविवार को शहर में रोष मार्च निकाला।
विधायक बरिंदरमीत सिंह पाहड़ा के नेतृत्व में निकाले गए रोष मार्च के बाद जहाज चौक पर केंद्र सरकार का पुतला फूंका गया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार का यह कदम गरीबों के खिलाफ एक और षड्यंत्र है और पंजाब सहित सभी राज्यों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार को दर्शाता है।
विधायक बरिंदरमीत सिंह पाहड़ा ने कहा कि मनरेगा योजना कांग्रेस सरकार की देन है। अब इसका नाम बदलने के साथ-साथ इसे खत्म करने की साजिश रची जा रही है। योजना की मूल भावना को ही नष्ट किया जा रहा है।
पाहड़ा ने नए नियमों पर चिंता जताते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने फंडिंग का पैटर्न बदल दिया है। अब राज्य सरकारों को पहले 40 फीसदी पैसा जमा कराना होगा, तभी योजना राज्य में लागू होगी।
उन्होंने कहा कि पंजाब के सिर पर पहले से ही भारी कर्ज का बोझ है। ऐसी स्थिति में प्रदेश सरकार के लिए यह पैसा जुटाना असंभव है। इसका सीधा मतलब यह है कि पंजाब में मनरेगा पूरी तरह बंद हो जाएगी। केंद्र सरकार सीधे तौर पर गरीबों के चूल्हे बुझाने पर तुली हुई है।
कांग्रेसी विधायक ने योजना में काम कर रहे कर्मचारियों की दशा की ओर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने बताया कि पिछले 17 साल से मनरेगा में कच्चे मुलाजिम के तौर पर काम करने वाले हजारों लोग अब आर्थिक संकट में फंस गए हैं।
उनके वेतन और भविष्य को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। पाहड़ा ने कहा कि केंद्र सरकार को नींद से जागना चाहिए। केवल योजनाओं का नाम बदलने से कुछ नहीं होता, व्यावहारिक रूप से काम करने की जरूरत है।
पाहड़ा ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने पहले प्रदेश के किसानों को खत्म करने की कोशिश की, अब मजदूरों को निशाना बनाया जा रहा है। केंद्र ने हमेशा पंजाब के साथ भेदभाव किया है।
वह कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचा रही है और गरीबों को खत्म कर रही है। देश भर में मनरेगा के तहत काम करने वाले 27 करोड़ लोगों को बेरोजगारी के कगार पर धकेला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हर बात को धार्मिक रंगत देना गलत है। उन्होंने कहा कि मनरेगा को उसके मूल स्वरूप में चलाया जाए, फंडिंग का पुराना पैटर्न बहाल किया जाए और योजना का नाम न बदला जाए।

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