आरिफके से मुक्तसर की 63 किलोमीटर सड़क चौड़ा करने का काम रुका, 147 करोड़ का प्रोजेक्ट
फिरोजपुर के गांव आरिफके से मुक्तसर तक 63 किलोमीटर की तंग सड़क को खुला करने का काम अधर में लटकता नजर आ रहा है। ...और पढ़ें

नरेश कुमार, फिरोजपुर : फिरोजपुर के गांव आरिफके से मुक्तसर तक 63 किलोमीटर की तंग सड़क को खुला करने का काम अधर में लटकता नजर आ रहा है। 18 फीट चौड़ी सड़क पर कई हादसे हुए तो सड़क को खुला करने की मांग उठी। हाई कोर्ट में डाली गई अपील के कारण नवंबर को शुरू होने वाले काम को रोकना पड़ा है। सड़क बनाने का टेंडर सितंबर 2021 को निकाला गया था।
चंडीगढ़ के वकील हरी चंद अरोड़ा ने सड़क किनारे लगे 15 हजार पेड़ काटने पर आपत्ति जताते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। फिरोजपुर मुक्तसर रोड की हालत काफी दयनीय है। सड़क चौड़ा करने की मांग पहले से उठ रही थी। सितंबर 2021 को तत्कालीन कांग्रेसी विधायक परमिदर सिंह पिकी ने 147 करोड़ रुपये की लागत से आरिफके से मुक्तसर तक 63 किलोमीटर सड़क को चौड़ा करने की घोषणा की थी। लेकिन लेकिन आठ माह बीत जाने के बाद भी सड़क का काम शुरू नहीं हो सका। वकील हरीचंद अरोड़ा ने हाई कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद किसी से बात नहीं कर रहे। 18 मई को उनकी अपील पर फैसला आना बाकी है।
नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया (एनएचएआइ) के एसडीओ ओंकार सिंह ने कहा कि आरिफके से मुक्तसर तक 63 किलोमीटर लंबी सड़क को चौड़ा करने का टेंडर पंचकूला की कंपनी मान बिल्डर्स को 147 करोड़ में दिया गया था। सड़क को बनाने में लगभग 15000 पेड़ कटने थे। इसके लिए जंगलात विभाग से सारी औपचारिकता पूरी कर ली गई थी और नवंबर में इस सड़क का काम शुरू होना था। लेकिन पंचकूला के वकील हरी चंद अरोड़ा ने याचिका दायर कर काम रुकवा दिया। अब इस केस की सुनवाई हाईकोर्ट में 18 मई को है। कोर्ट का क्या फैसला आता है उसके बाद ही पता चलेगा कि काम कब शुरू होगा।
सड़क बनाने का टेंडर लेने वाली फर्म मान बिल्डर्स के मालिक मनीष बांसल ने कहा इस प्रोजेक्ट को लेकर चंडीगढ़ के वकील ने केस किया था लेकिन उसका हल जल्दी निकल जाएगा। ये रोड पहले 18 फुट है जिसको 33 फीट तक चौड़ा करना है। जिससे लोगों को काफी सुविधा मिलेगी। उन्होंने बताया कि सड़क निर्माण में विरोध को लेकर कुछ ग्राम पंचायतें भी वकील हरी चंद अरोड़ा को मिलने गई थी। øø पेड़ एक दिन में 230 लीटर आक्सीजन देता है
फिरोजपुर के पर्यावरण प्रेमी विक्टर ने कहा कि पर्यावरण को संतुलित करने के लिए पेड़ों के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। देश के लिए दुर्भाग्य वाली बात है कि जिन पर पेड़ों को बचाने की जिम्मेदारी है, वही काटने में मदद कर रहे हैं। एक व्यक्ति को जीवित रहने के लिए एक दिन में लगभग पांच सौ लीटर शुद्ध आक्सीजन की जरूरत होती है, क्योंकि वायु में आक्सीजन की मात्रा लगभग 20 प्रतिशत होती है। परंतु सांस छोड़ते समय 15 प्रतिशत आक्सीजन ही बाहर आती है यानि कि पांच प्रतिशत आक्सीजन का उपयोग कर लेते हैं। सामान्य पेड़ एक दिन में 230 लीटर आक्सीजन देता है। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि पेड़ मानव जीवन में कितने उपयोगी हैं। इसलिए जहां तक हो सके तो विकास के नाम पर कम से कम पेड़ों को काटना चाहिए।

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