फिरोजपुर में आज भी सुरक्षित ममदोट नवाब का कुतुब मंजिल बंगला
महाराजा रणजीत सिंह ने ममदोट नवाब को जो बंगला अलाट किया था वह आज भी शहीदों के शहर में सुरक्षित है।
तरुण जैन, फिरोजपुर : महाराजा रणजीत सिंह ने ममदोट नवाब को जो बंगला अलाट किया था, वह आज भी शहीदों के शहर में सुरक्षित है। छावनी के माल रोड स्थित इस बंगले में नवाब का परिवार रहता था। बंगले की दीवारों पर आज भी कुतुब मंजिल शब्द खुदा हुआ है, जो इसकी प्राचीनता की ओर इशारा करते हैं। बंगले में एक पीर की मजार भी है।
हिद-पाक बंटवारे के बाद यह बंगला महरूम विधायक स. गिरधारा सिंह सैणी को अलॉट हुआ था। गिरधारा सिंह बंटवारे के बाद पाकिस्तान के लायलपुर जोकि समुद्री एरिया है से आएं थे और उन्होंने 64 हजार में यह बंगला लिया था। फिरोजपुर में वह मालवा के सबसे बड़े समुद्री ट्रांसपोर्ट के नाम से प्रसिद्ध थे। अब इस बंगले में गिरधारा सिंह के पुत्र और पूर्व भाजपा विधायक सुखपाल सिंह नन्नू रहते हैं।
सुखपाल सिंह नन्नू ने बताया कि ममदोट नवाब फिरोजपुर जिले का सबसे अधिक संपति वाला अमीर आदमी था और वह हसनाजी पठान परिवार से संबंध रखता था। फिरोजपुर में वह कसूर से आएं थे। ममदोट नवाब को महाराजा रणजीत सिंह ने काफी भूमि व ममदोट हाऊस बंगला उपहार में भेंट किया था। नवाब महाराजा रणजीत सिंह के समय में काफी शक्तिशाली था। उसकी 1863 में मृत्यु हो गई थी। उसके पौते का नाम कुतुब उदद्दीन खान था और उसका जन्म 1889 में हुआ था। कुतुबउदद्दीन का निकाह नवाब लाहुरू की बेटी से हुआ था और घर में दो सुपुत्रों जमाल उदद्दीन खान और जलाल उद द्दीन खान ने जन्म लिया। उन्होंने अपने दादा के बंगले का नाम कुतुब मंजिल ममदोट हाऊस रख लिया। भारत-पाक बंटवारे के बाद उक्त परिवार पाकिस्तान चला गया।
नन्नू बताते हैं कि पिछले सात दशक से उनका परिवार इस बंगले में रह रहा है, लेकिन बंगले के अंदर बाबा नूरशाह वाली की मजार की तरफ पांच दशक तक किसी ने ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जब पहली बार दरगाह की तरफ ध्यान नहीं दिया तो कुछ ही दिनों में उनके साथ लगातार 19 बार गंभीर सड़़क हादसे हुए। जिस गाड़ी में वह सफर करते तो गाड़ी बुरी तरह चकनाचूर होती रही। इसके बाद नन्नू ने जब कोठी के अंदर बनी दरगाह की साफ सफाई कर उसकी पूजा-अर्चना का दौर शुरू किया तो सब ठीक होता चला गया।
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