Punjab: बाढ़ के प्रकोप से आशियाने टूटने से ग्रामीण हुए बेघर, भविष्य की सताने लगी चिंता; कैसे होगा गुजारा
Punjab Floods पंजाब में बाढ़ के प्रकोप से आशियाने टूटने से ग्रामीण बेघर हो गए हैं। लोगों को अब भविष्य की चिंता सताने लगी है। खेती करने वालों की भूमि ...और पढ़ें

फिरोजपुर/कालूवाला, तरुण जैन: टापूनामा गांव कालूवाला में बाढ़ का प्रकोप इस तरह हावी हो गया है कि कई लोग बेघर हो गए है साथ ही युवा बेरोजगार हो गए है। खेती करने वालों की भूमि पिछले 15 दिनों से बाढ़ के पानी में डूबी है और जिनके घर गिर गए है वह सरकारी प्राईमरी स्कूल में जीवन व्यतीत कर रहे है। गांव में करीब 4 परिवारो के घर टूट गए है तो 5 के घर पानी में डूबे है। 5 परिवारो के 37 लोग स्कूल में रह रहे है।
गांव में डेढ़ फीट तक ऊपर आया पानी
मंगलवार को फिर से सतलुज में जल स्तर बढ़ने के कारण गांव में डेढ़ फीट तक पानी ऊपर आ गया है। गांव में जाने का रास्ता मात्र किश्ती है, लेकिन सतलुज में तेज बहाव के कारण ग्रामीण किश्ती में जाने से गुरेज करते है और गांव में कंटीली तार के पार करीब 6 हजार एकड़ भूमि है, जोकि पूरी तरह से सतलुज के पानी में डूब गई है और वहां किसान खेती करने भी नहीं जा सकते। कालूवाला गांव तीन तरफ से सतलुज और एक तरफ से अंर्तराष्ट्रीय हिन्द-पाक सीमा की कंटीली तारो से घिरा हुआ है।
55 वर्षीय स्वर्ण सिंह ने बताया कि उसकी अढ़ाई एकड़ भूमि है और उस पर धान की रोपाई की थी। बाढ़ ने उसकी मेहनत को पूरा तहस-नहस कर दिया। पिछले 2 साल से काफी बीमार चल रहा है और उसकी मोगा के निजी अस्पताल से दवाई चल रही है। घर पानी में डूब गया है। पत्नी रानोबाई और छोटे बेटे जगदीश सिंह के साथ गांव के प्राईमरी स्कूल में रह रहा है।
धान की रोपाई में लग गई धनपूंजी
प्रशासन और समाजसेवी संस्थाओ ने जो राशन पहुंचाया था, उसी के माध्यम से दो वक्त की रोटी खा रहे है। बड़ा बेटा मलकीत सिंह जोकि वकालत की पढ़ाई कर रहा है, वह राजस्थान में कॉलेज गया है। मलकीत ने कहा कि उसे चिंता है कि अब उसके जीवन की अर्थव्यवस्था कैसे पटरी पर आएगी, क्योंकि धान की रोपाई में धनपूंजी लग गई और आने वाले समय में घर में रोटी कैसे चलेगी, पूरा दिन यहीं सोचता रहता है।
घर पानी के बाढ़ के कारण गिरा
60 वर्षीय चिमन सिंह ने बताया कि उसका घर बाढ़ के पानी के कारण गिर गया है। वह अपनी पत्नी, बेटे व अन्य परिवारिक सदस्यो के साथ गांव के स्कूल में 17 दिनो से रह रहे है। जब पानी ज्यादा आया था तभी घर से जरूरी सामान स्कूल में शिफ्ट कर लिया था। उनका तो शहर से कुनैक्शन ही कट गया है। स्कूल के गेट से बाहर आए तो खेत पानी में डूबे ही दिखते है। रात को मच्छरो की भरमार के कारण काफी दर्दभरा जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है।
चिमन सिंह ने बताया कि वह अपने भाई रतन सिंह व अन्य बच्चो के साथ गांव में रहता है और एक एकड़ खेती योगय भूमि है। दिहाड़ी-मजदूरी करके घर का कामकाज करते है। जब से पानी आया है तब से वह बेरोजगार हो गए है। उनका ईंटो का घर पानी के बहाव के कारण ध्वस्त हो गया है।
5 बच्चों के साथ सरकारी स्कूल में ली शरण
वहीं 35 वर्षीय निशान सिंह ने बताया कि पत्नी कैलाश कौर और तीन बच्चों के साथ तथा सतनाम सिंह ने पत्नी छिंदो बाई और 5 बच्चों के साथ सरकारी स्कूल में शरण ली है। उन्होंने कहा कि गांव में आने का रास्ता मात्र नदी को किश्ती के माध्यम से होने के कारण वहां सभी लोग नहीं आ पाते।
वह भी गांव से बाहर नहीं जा पा रहे है। उन्हें काफी दिक्कत परेशानी उठानी पड़ रही है। घर पानी में डूबने के कारण सामान भी खराब हो गया है। सरकार को चाहिए कि उनकी सहायता करे। जीवन में ऐसी त्राहि-त्राहि पहली बार देखी है। हमेशा परमात्मा से यहीं दुआ की जा रही है कि भगवान जल्द पानी को कम करे।

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