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    Punjab Flood: 50 एकड़ जमीन और तीन मकान निगल गई सतलुज नदी, फिरोजपुर के इस गांव में दस दिन से भरा है पानी

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 08:03 AM (IST)

    फिरोजपुर के टेंडीवाला गांव में सतलुज नदी में आई बाढ़ से भारी तबाही हुई है। 3.30 लाख क्यूसेक जलस्तर के साथ बह रही नदी ने गांव की 50 एकड़ जमीन और तीन मकान निगल लिए। कई घर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और सड़कों को भी नुकसान पहुंचा है जिससे ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

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    50 एकड़ जमीन और तीन मकान निगल गई सतलुज नदी (कपिल सेठी फोटो)

    कपिल सेठी, फिरोजपुर। चारों तरफ से सतलुज दरिया से घिरे गांव टेंडीवाला के लोग दस दिनों से पानी के बीच जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं।

    3.30 लाख क्यूसेक जलस्तर के साथ बह रह दरिया बेइंतहा दर्द दे गया। गांव की करीब 50 एकड़ जमीन और तीन मकान निगलकर इस समय दरिया करीब 30 फीट दूर बह रहा है।

    गांव में कुल 255 मकान हैं। दस दिन पहले सतलुज दरिया में जैसे-जैसे पानी बढ़ा ग्रामीणों की जिंदगी की नाव डोलने लगी। लोगों ने बचाव के लिए अपने घरों से महिलाओं और बच्चों को राहत शिविरों में भेज दिया। कुछ ने रिश्तेदारों के यहां भेज दिया।

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    हालांकि, गांव में कुछ लोग अपने घरों की निगरानी के लिए रुके हैं। बाढ़ से तीन मकान दरिया की भेंट चढ़ गए हैं। 10 घर बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। कई घरों में दरारें आई हैं।

    गांव में वाहनों का पहुंचना मुश्किल

    तेज बहाव से गांवों को जाने वाले मुख्य सड़क तीन जगहों से टूट गई है। ऐसे में गांव में वाहनों का पहुंचना बेहद मुश्किल है। सड़क के किनारों से कई जगह से नीचे से मिट्टी खिसक चुकी है। यहां से सतजुल का पानी इस तरह बह रहा है, मानों कोई झरना बह रहा हो।

    हालात की बात करें तो अभी भी गांव पानी से घिरा है, लेकिन जलस्तर कम होने के बाद कुछ ग्रामीण अपने घरों को लौटने लगे हैं। ग्रामीण जंगीर सिंह ने बताया कि बीते दस दिनों से उनकी जिंदगी पटरी से उतरी हुई है।

    घरों में ढाई से तीन फुट तक पानी भर गया है। पानी भरा होने से कई मकानों की दीवारों और छतों में दरारें में पड़ चुकी हैं। फर्श भी नीचे बैठ गए हैं।

    उसकी और उसके भाइयों की छह एकड़ धान की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है। पानी बढ़ने के साथ ही उन्होंने बच्चों व महिलाओं को रिश्तेदारों के भेज दिया था।

    सोमवार को पानी कम होने के बाद सब फिर घर लौटे हैं। घर में गाद जमा है। साफ-सफाई शुरू की है, लेकिन जिंदगी की गाड़ी के पटरी पर आने में कई महीने लग जाएंगे। सतलुज दरिया के किनारे बने घर का एक कमरा पानी में बह जाने के बाद नींव पर बैठीं 55 वर्षीय लालो बाई काफी निराश दिखीं।

    लालो ने बताया कि उनके मकान का एक कमरा पूरी तरह दरिया में बह गया है। बाकी कमरों को बचाने के लिए उन्होंने ईंटें और गाडर निकालना शुरू कर दिया है।

    घर के अलावा भैंसों के बाड़े में घुसा पानी

    दरिया के किनारे से करीब 200 मीटर दूर बने घर में तीन भाई मिठा सिंह, दर्शन सिंह और पीपल सिंह रहते हैं।

    घर के 4 कमरे, 2 रसोई और भैंसों के दो बाड़े में से कुछ दरिया के बहाव में ढह गए थे तो कुछ उन्होंने खुद ढहा दिए ताकि ईंटें और गाडर बचा सकें। इन्होंने बताया कि घर में पानी आने के बाद पूरा परिवार रिश्तेदारों के यहां चला गया। बाढ़ में सब कुछ ही खत्म हो गया है।

    गांव के ही रहने वाले जसवंत सिंह ने बताया कि वह प्राइवेट नौकरी कर घर का गुजारा चलाते हैं। उनकी 2 एकड़ की धान की फसल में पांच फुट तक पानी भर गया था।

    किसानों की फसल बर्बाद

    अब हालांकि पानी कम हुआ है मगर धान की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। अब चिंता है कि जिंदगी की गाड़ी कैसे चलेगी।

    वर्ष 2023 में आई बाढ़ में भी मेरी धान की फसल बर्बाद हो गई थी, मगर उसका कोई मुआवजा नहीं मिला। इस बार फिर फसल नष्ट हो गई है और मुआवजे की उम्मीद नहीं है।