Punjab Flood: कर्ज, शादी और घर... जमीन में बोए थे सपने; रोते हुए लोग बोले- बाढ़ में सब बह गए
फिरोजपुर में बाढ़ ने किसानों के सपने डुबो दिए। अमरीक सिंह जैसे कई किसानों ने कर्ज चुकाने और घर बनाने के सपने देखे थे पर बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया। जोगा सिंह की बहनों की शादी भी खतरे में है। बूटा सिंह को परिवार के पेट भरने की चिंता है वहीं मनदीप सिंह बेटे को विदेश भेजने का सपना पूरा नहीं कर पा रहे।

राजेश त्रिपाठी, फिरोजपुर। अभी कुछ दिनों पहले की ही तो बात है, जब किसानों ने बड़ी खुशी और उत्साह से अपने खेतों में धान की रोपाई की थी। उन्होंने फसल के साथ अपने परिवार के सपने भी रोपे थे। किसी को कर्ज चुकाना था तो किसी को परिवार में शादियां करनी थीं, घर बनाना था, बच्चों का भविष्य संवारना था, लेकिन अगस्त के अंतिम सप्ताह में आई बाढ़ ने इनके सपनों को पानी में डुबो दिया।
फसल तबाह हो चुकी है, अब ये अपनी जान बचाने के लिए घर-बार छोड़कर यहां से वहां भटक रहे हैं। अन्नदाता के हाथ और पेट दोनों खाली हैं । कुछ ऐसा ही हाल है फिरोजपुर जिले के गांव फत्तेवाला, गांव बंडाला व गांव धीरा घर के लोगों का। बाढ़ में इनका सबकुछ बर्बाद हो गया है। फत्तेवाला गांव के अमरीक सिंह ने साढ़े तीन एकड़ जमीन में धान की फसल की रोपाई की थी।
पुराना कर्ज चुकाना था, मकान बनाना था और बच्चों की खुशी के लिए कुछ पैसे खर्च करने की उम्मीद दिमाग में परवान चढ़ रही थी, लेकिन बाढ़ में सब तहस-नहस कर दिया। अपनी बात कहते-कहते अमरीक सिंह की आंखें भी दरिया बन जाती हैं।
वह कहते हैं कि 2023 में बाढ़ में उनकी फसल व मकान का जो नुकसान हुआ था, वह कर्ज आज तक उनके सिर पर है। उस समय धान की बुवाई, डीजल व दवाई पर इतना खर्च हो गया था कि कमर ही टूट गई थी। इस वर्ष सोचा था कि फसल बेचकर घर ठीक कर लेंगे, लेकिन आपदा फिर दरवाजे पर आकर खडी हो गई।
अमरीक कहते हैं कि घर बनाने का सपना इस बाढ़ के पानी में बह गया है। इसी गांव के जोगा सिंह की दो बहनों का विवाह इसी वर्ष तय था। चार एकड़ जमीन है। सोचा था कि फसल आएगी तो सारा कर्ज चुका देंगे, लेकिन बाढ़ ने उनके कर्ज का रंग और गाढ़ा कर दिया है। अब कुछ नहीं सूझ रहा कि पानी उतरने के बाद वह क्या करेंगे, किसका दरवाजा खटखटाएंगे, किससे फरियाद करेंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि रब भी उनसे रूठ गया है।
पूरे गांव का हाल ऐसा ही है। आसपास के सभी गांवों में यही मातम पसरा हुआ है कि पानी उतरने के बाद करना क्या है? इस बाढ़ ने छोटे किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। बर्बादी के मुहाने पर खड़े अधिकतर किसान कम उपज वाले हैं।
ऐसी कहानियां बाढ़ग्रस्त हर घर में फैली हुई हैं। जिससे बात कीजिए, उसी के पास सपनों की एक लंबी फेहरिस्त है जिसकी टीस अपने खेतों के हालत देखकर हर पल उनके दिल और दिमाग में नश्तर-सी चुभा रही है।
सवाल परिवार का पेट कौन भरेगा गांव बंडाला में दो एकड़ जमीन के मालिक बूटा सिंह के सामने अब सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि वर्ष भर उनके परिवार का पेट कौन भरेगा? वह कहते हैं कि इतनी-सी जमीन से परिवार का गुजारा करना पहले ही बड़ा मुश्किल था। हर बार उम्मीद रहती थी कि अच्छी फसल होगी तो घर के हाल सुधर जाएंगे मगर इस बाढ़ ने सब खत्म कर दिया है। दरिया अपना रास्ता भूलकर हमारे खेतों में घुस आया।
धान की फसल रोपने पर जो पैसा खर्च हुआ था, उसके कर्ज की मार अलग से है। बेटे को विदेश भेजने की चाह थी गांव धीरा घर के मंदीप सिंह कहते हैं कि उनके पास डेढ़ एकड़ जमीन है। परिवार में तीन बच्चे हैं। एक बेटी और दो बेटे। बड़ा बेटा 12वीं पास कर चुका है।
मनदीप कहते हैं कि नौकरी तो इतनी जल्दी किसी को मिलती नहीं है, सोचा था फसल से कुछ पैसे बचेंगे तो थोड़ा-बहुत रिश्तेदारों से उधार लेकर अपने बड़े बेटे को विदेश भिजवाने का प्रयास करूंगा। यहां तो हर वर्ष पानी आ जाता है। कम से कम विदेश जाकर वह हमारी रोजी-रोटी का जरिया तो बन जाएगा। अब क्या करेंगे, इस सवाल पर मन का दर्द आंखों के रास्ते चेहरे पर बहने लगता है।
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