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    Farmars Protest: टूटने लगा लोगों का धैर्य, गांवों से होने लगा पलायन; शंभू में राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैठे किसानों से मांगने लगे रास्ता

    चार महीने से ज्यादा समय से किसानों के रास्ता रोके जाने से आसपास के गांवों के लोग परेशान हो चुके हैं और उनका धैर्य भी जवाब देने लगा है। पांच से दस मिनट में अंबाला पहुंचने वालों को घटों लग जाते हैं। लोगों का कहना है कि किसानों को आसपास के दो से तीन दर्जन के करीब गांवों के लोगों की समस्या को देखते हुए रास्ता खोल दिया जाए।

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Tue, 18 Jun 2024 06:00 AM (IST)
    शंभू के आसपास के गांवों में रहने वाले लोग चार महीने से अधिक समय से झेल रहे परेशानी
    शंभू के आसपास के गांवों में रहने वाले लोग चार महीने से अधिक समय से झेल रहे परेशानी

     गुरप्रीत धीमान, पटियाला। पंजाब में 13 फरवरी से पहले शंभू से सटे गांव महमदपुर, राजगढ़, तेपला, बसमा, संजरपुर, बपरौर, नन्हेड़ा, गदापुरा, नंदगढ़ और रामनगर सैनिया के लोगों का जीवन हंसी-खुशी गुजर रहा था। विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में, व्यवसायी अपने कारोबार में, दिहाड़ीदार रोजाना मिल रहे काम में जुटे हुए थे।

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    अचानक से पूर्व की घोषणा के तहत संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) से जुड़े किसान शंभू स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग पर जमा हुए और उन्होंने अंबाला से आगे नहीं बढ़ने देने पर वहां पक्का मोर्चा लगा दिया। किसानों के इस तरह से रास्ता रोके जाने से उक्त गांवों के लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं।

    आसपास के गांवों के लोग परेशान हो चुके हैं

    चार महीने से ज्यादा समय से किसानों के इस तरह रास्ता रोके जाने से आसपास के गांवों के लोग परेशान हो चुके हैं और उनका धैर्य भी जवाब देने लगा है। पांच से दस मिनट में अंबाला पहुंचने वालों को एक से डेढ़ घंटा लग रहा है।

    हालात ऐसे हो गए हैं कि इससे जहां विद्यार्थियों की शिक्षा प्रभावित हो रही है वहीं, दिहाड़ीदारों के सामने परिवार को पालने और व्यापारियों के लिए व्यापार करना मुश्किल हो गया है। इसी कारण कुछ लोगों ने तो यहां से पलायन तक करना शुरू कर दिया है। जो लोग यहां रह रहे हैं वे शंभू में बैठे किसानों से मांग करने लगे हैं कि उन्हें नेशनल हाईवे से अंबाला जाने के लिए एक रास्ता खोलें।

    अगर रास्ता खुला होता तो बच जाती परमजीत कौर की जान

    सोमवार देर शाम राजगढ़ की रहने वाली परमजीत कौर को गर्मी के कारण घबराहट होने लगी। उनका बेटा विक्की और पति पालाराम उन्हें इलाज के लिए बाइक पर ही अंबाला लेकर जाने लगे, लेकिन उन्होंने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। परमजीत की मौत के बाद लोगों में यही बात हो रही है कि अगर किसानों ने रास्ता बंद न कर रखा होता तो पांच मिनट में ही परमजीत कौर को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जा सकता था।

    अधिकतर लोग अंबाला पर हैं निर्भर

    गांव संजरपुर के सरपंच जोध सिंह ने बताया कि गांव के लोग बच्चों की शिक्षा, रोजाना दिहाड़ी करके अपने परिवारों का पेट पालने, बीमार होने पर अंबाला के अस्पताल पहुंचने और अन्य रोजमर्रा की जरूरतों का सामान के लिए अंबाला पर निर्भर हैं। किसानों के धरने के कारण लोगों को रोजाना कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अभी तो स्थानीय लोगों की ओर से घग्गर दरिया पर अस्थायी पुल बनाकर किसी तरह काम चलाया जा रहा है।

    लोगों की ये है मांग

    जुलाई में हर साल घग्गर दरिया का जलस्तर बढ़ जाता है। ऐसे में जो अस्थायी पुल हैं वे दरिया की चपेट में आ जाएंगे और एकमात्र रास्ता नेशनल हाईवे ही रह जाएगा। किसानों को चाहिए कि आसपास के दो से तीन दर्जन के करीब गांवों के लोगों की समस्या को देखते हुए एक तरफ का रास्ता खोल दिया जाए।