1.69 करोड़ सब्सिडी से 233 कृषि यंत्र दिए, फिर भी पराली जलाने की आशंका
जासं, फिरोजपुर : जिले में इस बार कोई किसान पराली न जलाए, इसके लिए बेशक राज्य सरकार ने 1 करोड़ 69 लाख ...और पढ़ें

जासं, फिरोजपुर : जिले में इस बार कोई किसान पराली न जलाए, इसके लिए बेशक राज्य सरकार ने 1 करोड़ 69 लाख रुपये सब्सिडी पर कृषि यंत्र मुहैया करवाए हैं। फिर भी धान की पराली को आग लगाए जाने की आशंका है। किसान पराली को खेत में ही मिलाने पर होने वाले ज्यादा खर्च की भरपाई के लिए धान की खरीद के दौरान 300 रुपये प्रति क्विंटल बोनस की मांग कर रहे हैं। किसान संगठन प्रशासन के माध्यम से सरकार को इस मांग का ज्ञापन भेजकर बता भी चुके हैं कि अगर बोनस नहीं मिला तो खर्च पूरा नहीं होगा। इससे पराली को आग लगाकर निस्तारण करना उनकी मजबूरी हो जाएगी। जिले में इस बार 1 लाख 86 लाख हैक्टेयर धान की फसल है। इससे 5 लाख एमटी से ज्यादा पराली होने अनुमान है। गत वर्ष 300 खेतों में आग लगाई गई थी।
इस बार मई में ही राज्य सरकार ने सभी जिलों के प्रशासन से बैठक कर पराली को जलने से बचाने की कार्ययोजना तैयार की थी। इसमें किसानों को पराली निस्तारण में मददगार कृषि यंत्रों पर सब्सिडी देने की स्कीम बनाई गई थी। तब कृषि विशेषज्ञों ने फीडबैक दिया था कि ज्यादातर किसानों के पास पराली के निस्तारण के साधन नहीं है। थोड़ी जमीन का मालिक किसान साधन बना नहीं सकता। इससे सब्सिडी की सुविधा दी जाए। अगर साधन होंगे तो किसान पराली नहीं जलाएंगे। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार अब तक किसानों को सब्सिडी पर 117 हैप्पी सीडर, 75 कंबाइन मशीनों में सुपर एसएमएस सिस्टम, 35 पैडी चौपर सरेडर और 6 मल्चर उपलब्ध करवाए गए हैं। इन 233 कृषि यंत्रों पर 1 करोड़ 69 लाख रुपए सब्सिडी दी गई है। अभी 54 कृषि यंत्र और उपलब्ध करवाए जाएंगे।
पराली मिक्स करने में एक एकड़ में 2 हजार रुपये से ज्यादा खर्च आता है
भारतीय किसान यूनियन (सिद्धुपुर) के जिलाध्यक्ष फतेह ¨सह के अनुसार प्रशासन ने सब्सिडी पर जितने कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए हैं, वह पर्याप्त नहीं है। एक एकड़ में पराली को खेत में मिलाने पर 2 हजार रुपये खर्च होता है। इसके बाद गेहूं की बिजाई का खर्च भी होता है। इसकी भरपाई के लिए किसान को प्रति क्विंटल धान पर 300 रुपये बोनस दिया जाना चाहिए। इससे ताकि किसान का होने वाला खर्च निकल सके। राज्य सरकार मदद नहीं करती, इसी वजह से मजबूर किसान धान की पराली को आग लगाकर जला देता है। जिलाध्यक्ष के अनुसार इस भी किसानों को ऐसा ही करना पड़ेगा।
पिछले साल 300 से ज्यादा खेतों लगाई थी आग
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में धान की कटाई के सीजन के दौरान फिरोजपुर जिले में 300 से ज्यादा खेतों में पराली जलाई गई। यह पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर लुधियाना की सेटेलाइट रिपोर्ट है। इस बार भी सेटेलाइट से आगजनी पर नजर रखी जाएगी। कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार जिले में धान की 1.86 लाख हैक्टेयर में फसल होती है। एक हैक्टेयर में औसतन 2.7 एमटी पराली होती है। इस हिसाब से धान के सीजन में जिले में 5 लाख 24 हजार एमटी पराली होगी।
किसानों को किया जा रहा जागरूक
मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. रछपाल ¨सह के अनुसार किसानों को धान की पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। छह अक्टूबर को लगने वाले जिला स्तरीय कृषि मेले में भी किसानों को पराली जलाने से होने वाले नुकसान से अवगत करवाया जाएगा। उन्हें यह भी बताया जाएगा कि पराली न जलाने से किस तरह जमीन का उपजाऊपन बढ़ता है।
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वर्जन:
नियमानुसार होगी कार्रवाई
पराली न जलाने के लिए किसानों को जागरूक जा रहा है। प्रशासन और कृषि विभाग की टीमें इसकी निगरानी रखेगी। जो भी पराली जलाएगा, उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई होगी।
मनजीत ¨सह, डीआरओ, फिरोजपुर।

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