Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    फिरोजपुर: बाढ़ से टूटी उम्मीदों को जोड़ने की पहल, 'ईच वन अडॉप्ट वन' मुहिम 2700 बच्चों की शिक्षा के लिए ऐसे बनी जीवजीवनदायिनी

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 05:30 PM (IST)

    फिरोजपुर में बाढ़ से प्रभावित बच्चों की शिक्षा बचाने के लिए ईच वन अडाप्ट वन मुहिम शुरू की गई। डिप्टी डीईओ सतिंद्र सिंह ने गट्टी राजोके से इसकी शुरुआत की। इस मुहिम के तहत 23 स्कूलों के 2700 से अधिक विद्यार्थियों को किताबें और स्टेशनरी दी जाएंगी। कई संस्थाएं जैसे हंबला फाउंडेशन और गिव एंड ग्रो ने भी मदद की है। यह मुहिम समाज की एकजुटता का उदाहरण है।

    Hero Image
    बाढ़ प्रभावित 30 गांवों के 2700 विद्यार्थियों की शिक्षा बचाने के लिए ‘इच वन अडॉप्ट वन’ मुहिम (फाइल फोटो)

    कपिल सेठी, फिरोजपुर। सतलुज दरिया के किनारे बसे कई गांवों में आई हालिया बाढ़ ने जहां किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया, वहीं हजारों स्कूली बच्चों की शिक्षा पर भी गहरा संकट पैदा कर दिया। बाढ़ का पानी घरों और स्कूलों तक घुस जाने से विद्यार्थियों की किताबें, कापियां और जरूरी स्टेशनरी पूरी तरह खराब हो गईं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    खेत-खलिहानों की तबाही ने अभिभावकों की आर्थिक स्थिति कमजोर कर दी, जिससे बच्चों की पढ़ाई पर बड़ा खतरा मंडराने लगा। ऐसे मुश्किल समय में जिला शिक्षा विभाग के डिप्टी डीईओ और नेशनल अवार्डी डा. सतिंद्र सिंह ने अपनी सूझ-बूझ और संवेदनशीलता का परिचय देते हुए ‘इच वन अडाप्ट वन’ मुहिम शुरू की, जो धीरे-धीरे हजारों विद्यार्थियों के लिए जीवनदायिनी पहल साबित हो रही है।

    इच वन अडाप्ट वन’ मुहिम ने साबित कर दिया है कि जब समाज एकजुट होकर कदम उठाता है, तो किसी भी आपदा से न सिर्फ राहत पहुंचाई जा सकती है बल्कि भविष्य की नई राहें भी खोली जा सकती हैं। यह मुहिम न केवल बाढ़ प्रभावित विद्यार्थियों की पढ़ाई को सहारा दे रही है, बल्कि यह प्रेरणा भी दे रही है कि संकट चाहे कितना भी बड़ा हो, इंसानियत और सहयोग की ताकत उससे कहीं ज्यादा मजबूत होती है।

    डा. सतिंद्र सिंह ने इस मुहिम की शुरुआत केवल गट्टी राजोके स्कूल के बाढ़ पीड़ित विद्यार्थियों के लिए की थी। उन्होंने समाज से अपील की कि हर व्यक्ति कम से कम एक बच्चे की जिम्मेदारी ले, ताकि कोई भी विद्यार्थी शिक्षा से वंचित न रहे।

    शुरुआत में यह पहल सीमित स्तर पर थी, लेकिन समाजसेवी संस्थाओं, दानदाताओं और अध्यापक वर्ग ने जिस तरह से हाथ बढ़ाया, उसने इस मुहिम को व्यापक जनआंदोलन में बदल दिया। धीरे-धीरे इसकी पहुंच हुसैनीवाला क्षेत्र, धीरा घारा और निहाला किल्चा इलाका सहित बाढ़ प्रभावित 30 से अधिक गांवों तक हो गई।

    अब तक इस मुहिम के तहत 14 प्राइमरी, 2 मिडल, 4 हाई और 3 सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के कुल 2700 से अधिक विद्यार्थियों के लिए पूरे शैक्षणिक सत्र की स्टेशनरी और किताबों का प्रबंध कर लिया गया है। इतना ही नहीं, 10वीं और 12वीं कक्षा के लगभग 350 विद्यार्थियों की बोर्ड परीक्षा फीस भी विभिन्न संस्थाओं द्वारा जमा करवाई जाएगी।

    इन सभी कार्यों की औपचारिक शुरुआत 23 सितंबर से गिव एंड ग्रो संस्था के सहयोग से की जाएगी। इस अभियान की विशेषता यह है कि हर जरूरतमंद विद्यार्थी को उसकी पढ़ाई के लिए जरूरी सामग्री उसी के स्कूल तक पहुंचाई जाएगी, ताकि किसी को अतिरिक्त परेशानियों का सामना न करना पड़े।

    इस नेक प्रयास को सफल बनाने में चार प्रमुख समाजसेवी संस्थाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हंबला फाउंडेशन, गिव एंड ग्रो ऑर्गेनाइजेशन, सारा फाउंडेशन और एग्रीड फाउंडेशन ने जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए खुलकर सहयोग किया। एग्रीड फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने कई विद्यार्थियों की पूरी जिम्मेदारी खुद उठाई है।

    वहीं हंबला फाउंडेशन के तत्तवाधान में पंजाबी अदाकारा नीरू बाजवा की टीम की ओर से 15 सरहदी गांवों के विद्यार्थियों की बोर्ड परीक्षाओं की फीस जमा करवाने का ऐलान किया गया है । गिव एंड ग्रो फाउंडेशन की ओर से विद्यार्थियों को कापी, पेन, पेंसिल व बैग मुहैया करवाए जाएंगें । सारा फाउंडेशन की ओर से स्कूल बैग और छात्राओं के लिए सैनिटेशन से संबंधित पैड व अन्य जरूरी वस्तुएं मुहैया करवाई जाएंगी।

    डॉ. सतिंद्र सिंह ने कहा कि इन संस्थाओं का सहयोग, बिना किसी स्वार्थ के है और यह साबित करता है कि सामूहिक प्रयासों से कोई भी संकट छोटा हो सकता है। उन्होंने सभी संस्थाओं, दानदाताओं और अध्यापक वर्ग का विशेष धन्यवाद करते हुए कहा कि उनका यह योगदान हजारों विद्यार्थियों के भविष्य को सुरक्षित करेगा

    डा. सतिंद्र सिंह ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य केवल किताबें और स्टेशनरी उपलब्ध कराना नहीं है, बल्कि यह संदेश देना भी है कि समाज की ताकत हर आपदा को मात दे सकती है। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने यह मुहिम शुरू की थी, तो सोचा भी नहीं था कि यह इतने बड़े स्तर तक पहुंचेगी। आज यह केवल शिक्षा बचाने का अभियान नहीं, बल्कि इंसानियत और सामाजिक एकजुटता की मिसाल बन चुकी है।

    डा. सिंह ने अपील की है कि अब जबकि बाढ़ प्रभावित विद्यार्थियों की तत्काल जरूरतें पूरी हो चुकी हैं, तो समाजसेवी संस्थाएं अपनी सेवाएं अन्य जरूरतमंद क्षेत्रों में लगाएं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के अलावा स्वास्थ्य सेवाएं, स्वच्छता और पुनर्वास जैसे कई क्षेत्र हैं, जहां समाज के सहयोग की जरूरत है।