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    सच्चा भक्त हमेशा प्रभु भक्ति में रहता है लीन

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 19 Nov 2019 12:16 AM (IST)

    महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद ने कहा कि सच्चा भक्त वही होता है जो धन-संपत्ति का त्याग कर प्रभु को मांगता है। ...और पढ़ें

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    सच्चा भक्त हमेशा प्रभु भक्ति में रहता है लीन

    जागरण संवाददाता, फिरोजपुर : श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद ने कहा कि सच्चा भक्त वही होता है, जो धन-संपत्ति का त्याग कर प्रभु को मांगता है। सच्चा भक्त वही, जिनके सामने धन संपत्ति, जमीन-जायदाद इन सब चीजों का कोई महत्व नही। सोचने वाली बात है कि अगर हम उस प्रभु को ही मांग लेंगे जो दुनिया चला रहे हैं तो दुनियावी पदार्थ तो खुद ही बिन मांगें मिल जाएंगे। स्वामी कमलानंद जी महाराज ने ये विचार श्री कल्याण कमल सत्संग समिति फिरोजपुर की ओर से मोची बाजार स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के पास बने श्री नीलकंठ मंदिर में दिव्य श्री राम कथा के समापन समारोह के दौरान प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए।

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    स्वामी जी महाराज ने उदाहरण देते हुए बताया कि जब महाभारत युद्ध शुरु होने वाला था तो अर्जुन व दुर्योधन दोनों ही भगवान श्रीकृष्ण से सहायता मांगने जा पहुंचे थे। भगवान कृष्ण बोले कि मैं जिस तरफ रहूंगा उस तरफ से युद्ध नहीं करूंगा। निहत्था रहूंगा, मगर दूसरी ओर मेरी नारायणी सेना रहेगी। इस पर अर्जुन ने भगवान कृष्ण से खुद भगवान का साथ मांगा। दुर्योधन ने भगवान कृष्ण की नारायणी सेना मांग ली। भगवान कृष्ण ने अर्जुन से पूछा कि तुम मेरी नारायणी सेना भी मांग सकते थे तो अर्जुन बोले कि जब नारायण ही मेरे साथ रहेंगे तो मुझे नारायणी सेना मांगने से क्या लाभ। अर्जुन बोले कि जब मेरे साथ खुद प्रभु रहेंगे तो मुझे किस बात का भय। प्रभु सारथी बनकर मुझे मार्ग से भटकने नहीं देंगे। स्वामी ने कहा कि राजा बली ने अपनी धन-संपत्ति सब भगवान को दे दी थी और अंत में अपना शरीर भी दे दिया था। भक्त उनको बोलते हैं, जिनके सामने तीनो लोको की संपत्ति रख दो तो भी वो संपत्ति को त्याग कर प्रभु को चुनता है, वही सच्चा भक्त है। उन्होंने कहा कि जब मन स्वच्छ होता है, तब सर्वत्र केवल परमात्मा ही दिखाई देते हैं। हमेशा भगवान को याद करते रहना चाहिए। भगवान कभी भक्त को निराश नहीं करते। भक्त की भक्ति में शक्ति होगी तो भगवान जरुर दर्शन देंगे। गुरु महिमा का बखान करते हुए उन्होंने कहा कि इस धरती पर गुरु

    परमात्मा समान है। गुरु ही वह निराकार परमात्मा है जो साकार रूप में अपने भक्तों के दु:ख दूर करते हैं। जब एक चांद निकलता है तो कितना प्रकाश और कितनी शीतलता व कितनी ठंडक दे देता है। चांद के प्रकाश में न जाने कितने सितारे टिमटिमाने लगते हैं। उसी तरह जब जीवन में सतगुरु आते हैं तब हजारों चंद्रमा की शीतलता मिलती है।

    कथा के समापन पर मंदिर कमेटी ने स्वामी कमलानंद गिरि को शॉल भेंट की। कथा में सहयोग करने वाले सहयोगियों को पुरस्कृत किया। प्रवक्ता रमन जैन ने कथा में पहुंचे श्रद्धालुओं से 21 नवंबर (वीरवार) को मुक्तसर के बूड़ा गुज्जर रोड स्थित बांसल पैलेस में आयोजित होने वाले गुरुजी के 60वें जन्म महोत्सव में बढ़-चढ़कर भाग लेने का आह्वान किया। इस महोत्सव में सुबह नौ से डेढ़ बजे तक कार्यक्रम होंगे। बाल भजन गायक देव चुघ हनुमानगढ़ वाले भजन कीर्तन करेंगे। कथा के दौरान मंदिर कमेटी के अध्यक्ष कमलेश वोहरा, शिव धवन, राकेश अग्रवाल, त्रिलोचन चोपड़ा, अरविद बांसल, राकेश अग्रवाल, सतपाल शर्मा, बलविदर खुंगर, प्रदीप कक्कड़, हरीश गोयल आदि मौजूद थे। लंगर भी लगाया गया।