मक्खू से मल्लांवाला तक बनाई 30 किमी प्लास्टिक मिक्स रोड
प्लास्टिक के कचरे से बढ़ती समस्या से निपटने के लिए जिले में इससे सड़कों का निर्माण शुरू किया गया है। यहा पहली बार सड़कें प्लास्टिक वेस्ट से बनी हैं।
अशोक शर्मा, फिरोजपुर : प्लास्टिक के कचरे से बढ़ती समस्या से निपटने के लिए जिले में इससे सड़कों का निर्माण शुरू किया गया है। यहा पहली बार सड़कें प्लास्टिक वेस्ट से बनी हैं। यदि आने साले समय प्लास्टिक का सही तरीके से इस्तेमाल हो तो यह मुसीबत नहीं बनेगा। साथ ही पर्यावरण भी स्वच्छ रहेगा। सड़क बनाने के लिए तारकोल के साथ 10 प्रतिशत वेस्ट प्लास्टिक की खपत होती है। इस फार्मूले से बनी सड़कें आम सड़कों से काफी मजबूत होती हैं। प्लास्टिक के लिफाफों से प्रदूषण और सीवरेज जाम की समस्या से निजात मिलेगी। जिले के मक्खू और मल्लावाला में लगभग 30 किलोमीटर तक लिंक सड़कें प्लास्टिक के कचरे से बनी हैं। इन्हें बने करीब एक साल हुआ है। कस्बा मल्लांवाला के गाव कामल वाला से अली वाला 4.36 किलोमीटर सड़क बनी है। इसे मार्केट कमेटी मल्लावाला ने बनवाया है। चंडीगढ़ के ठेकेदार के माध्यम से फिरोजपुर के मल्लावाला में सड़क का काम किया जा रहा है। तारकोल की अपेक्षा प्लास्टिक वाली सड़क में तीन से साढ़े तीन हजार रुपये का अंतर है। फिरोजपुर में बनने वाली सड़क के लिए कुछ प्लास्टिक पटियाला के कबाड़ियों से भी खरीदी गई है। इसमें हर तरह का प्लास्टिक प्रयोग हो सकता है। यह लुक के स्थान पर काम आता है, बाकी बजरी व दूसरा मेटेरियल वही रहता है। प्लास्टिक को पिघलाने के लिए अलग मशीन लगानी पड़ती है।
प्लास्टिक मिक्स सड़कों पर बारिश का नहीं पड़ेगा ज्यादा प्रभाव, अवधि होगी दोगुनी
इंजीनियरों का दावा है कि प्लास्टिक मिक्स रोड बारिश से खराब नहीं होगी। अक्सर बारिश में ही सड़कें खराब होती हैं, लेकिन लिंक रोड में प्लास्टिक पानी को सड़क पर रुकने नहीं देगा और सड़क के अंदर नहीं समाएगा। यही इसकी विशेषता है और इस तरह की अवधि चार से पांच साल की अपेक्षा आठ से नौ साल होने का दावा किया जा रहा है।
एक किलोमीटर पर तीन से साढ़े चार हजार रुपये तक होगी बचत
पॉलीथिन मिक्स से सड़क बनाने पर दो तरह के मेटीरियल का प्रयोग किया जाता है। एक तो मल्टी लेयर्ड जोकि पॉलीथिन बोरियों, चिप्स प्लास्टिक आदि से बनता है। तारकोल की सड़क में यह आठ फीसद इस्तेमाल किया जाता है। इसमें 500 रुपये प्रति किलोमीटर की बचत होती है, जबकि बजरी वाली सड़क में इसके प्रयोग से प्रति किलोमीटर पर 3,000 रुपये बचाए जा सकते हैं। यह पानी या बारिश से खराब नहीं होती।
कोस्ट
प्लास्टिक मिक्स से बनी सड़कें बेहतर हैं। सड़कों की मजबूती का मापक, जिसे पीसीएन कहते हैं। प्लास्टिक मिक्स सड़क से यह पाच से 10 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। विमान के रनवे का पीसीएन 55 या इससे अधिक होता है, वहीं सड़कों का पीसीएन पांच से 15 होता है। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली सहित देश के कई प्रदेशों ने प्लास्टिक मिक्स सड़कों को अपनाया है। अगर पंजाब सरकार पूरी तरह से प्लास्टिक मिक्स सड़क बनाने की अनुमति देती है तो राज्य में मजबूत सड़कें बनेगी और प्लास्टिक के वेस्ट से लोगों को निजात भी मिलेगी, प्रदूषण भी नहीं होगा। पंजाब में प्लास्टिक के पैकिंग वाले कारखानों में काम करने वाले हजारों लोगों का रोजगार भी नहीं छिनेगा।
आइएस धनोवा, सीनियर इंजीनियर, पीडब्ल्यूडी, फिरोजपुर।