Ground Report: न कहीं खौफ, न अफरा-तफरी... पाकिस्तान से सटे पंजाब के इलाकों में बेखौफ ग्रामीण, BSF पर पूरा भरोसा
भारत-पाकिस्तान के बीच एक बार फिर तनाव की स्थिति बनी हुई है। खास बात है कि इस बीच पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में हालात सामान्य हैं। वहां के लोगों का मानना है कि वे युद्ध से नहीं डरते उन्हें बीएसएफ पर पूरा भरोसा है। दैनिक जागरण ने सीमावर्ती इलाकों में ग्रामीण कैसे रह रहे हैं इसे लेकर रिपोर्ट तैयार की है।

जागरण टीम, फिरोजपुर। पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच एक बार फिर तनाव की स्थिति बनी हुई है, लेकिन पाकिस्तान की सीमा से सटे पंजाब के छह जिलों अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर, पठानकोट, फिरोजपुर और फाजिल्का के उन प्रथम गांवों में दृश्य बिल्कुल अलग है।
न कहीं खौफ, न अफरा-तफरी। खेतों में काम चलता नजर आया। बच्चे साइकिकल से स्कूल जा रहे हैं तो गांव की चौपालों पर मौसम और फसल की चर्चा हो रही है। लोगों का कहना है कि अगर युद्ध छिड़ भी गया, तब भी वे गांव छोड़कर नहीं जाएंगे। जब बीएसएफ साथ है तो क्या चिंता है।
ग्रामीणों ने की दैनिक जागरण से बातचीत
दैनिक जागरण की टीम ने पाकिस्तान की सीमा से सटे पंजाब के गांवों की जमीनी हकीकत का जायजा लिया। अमृतसर के गांव रोड़ावाला खुर्द (अटारी) में सबकुछ सामान्य दिनों जैसा ही दिखा।
बच्चे गलियों में खेल रहे थे। किसान गुरदेव सिंह ने बताया कि भारत ने सीमाओं की रक्षा के लिए कंटीली तारें लगाई है, जबकि पाकिस्तानी तो मिट्टी की दीवार खड़ी करते हैं, जो एक मुक्के से ही धराशायी हो जाएगी।
बुजुर्ग बोले- हमें डर नहीं लगता
गांव में गेहूं की कटाई हो चुकी है और तूड़ी बनाने का काम चल रहा है। अन्य बुजुर्गों ने कहा कि उन्हें किसी भी गीदड़भभकी से डर नहीं लगता। तीन ओर से दरिया से घिरे फिरोजपुर के गांव कालूवाला में भी लोग खेती में जुटे दिखे और महिलाएं घरों में कामकाज में लगी।
सरहद पार तूड़ी बनाने का काम रुक गया, जिस कारण पशुओं के चारे की चिंता है। बजुर्ग रहना तो गांव में ही चाहते हैं, मगर युद्ध नहीं चाहते। कारण, जिन्होंने पहले युद्ध देखे हैं, वह उस दौर को अब तक नहीं भूले हैं।
बीएसएफ के साथ खड़े हैं पुरुष
तरनतारन के गांव नौशहरा ढाला में गांववासियों को जंग का कोई डर नहीं है, बल्कि वे इंटरनेट मीडिया पर फैलाई जा रही युद्ध की आशंकाओं से हैरान हैं।
किसान मनजिंदर सिंह मन्ना और सरपंच मंगल सिंह के अनुसार, नौशहरा ढाला सहित छह गांवों की 1400 एकड़ जमीन कंटीली तार के पार है, जहां किसान आज भी खेती कर रहे हैं। अगर जरूरत पड़ी तो महिलाओं व बच्चों को सुरक्षित जगह भेजेंगे, लेकिन पुरुष गांव की रक्षा के लिए बीएसएफ के साथ खड़े होंगे।
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