Punjab Flood: फाजिल्का में फिर बढ़ा सतलुज का जलस्तर, कई गांवों में भरा पानी; सड़कें बनीं तालाब
फाजिल्का में सतलुज नदी का जलस्तर बढ़ने से सीमावर्ती गांवों में स्थिति फिर बिगड़ने लगी है। हरिकेहेड से पानी छोड़े जाने के कारण जलस्तर में 25 हजार क्यूसेक की वृद्धि हुई है जिससे गांव तेजा रुहेला गट्टी नंबर 3 दोना नानका और झंगड़ भैनी में पानी घरों तक पहुँच गया है। मानसून की गति धीमी होने से तापमान में वृद्धि हुई है।

जागरण संवाददाता, फाजिल्का। सतलुज दरिया का जलस्तर बढ़ने से फाजिल्का जिले के सीमावर्ती गांवों में हालात एक बार फिर बिगड़ने लगे हैं। सतलुज में पिछले दिनों पानी घटने से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली थी और लोग अपने घरों में लौट आए थे, लेकिन अब दोबारा पानी बढ़ने लगा है।
हरिकेहेड से छोड़े जा रहे पानी के कारण पिछले दिनों की तुलना में दरिया में करीब 25 हजार क्यूसेक पानी और बढ़ गया है। गांवों की जिन सड़कों और गलियों से पानी उतर चुका था, वहां फिर से पानी बहने लगा है। गांव तेजा रुहेला, गट्टी नंबर 3, दोना नानका और झंगड़ भैनी में पानी घरों तक पहुंच गया है।
मानसून की रफ्तार हुई धीमी, 31 वर्ष बाद अधिकतम तापमान 37 डिग्री पर पहुंचा उधर, विदाई से पहले मानसून की रफ्तार मंद पड़ने लगी है। मंगलवार को ज्यादातर जिलों में मौसम गर्म रहा और लोगों को उमस भरी गर्मी झेलनी पड़ी। रूपनगर, पठानकोट व चंडीगढ़ में ही हल्की वर्षा हुई।
दूसरी तरफ जिन जिलों में वर्षा नहीं हुई, वहां दिन का तापमान सामान्य से दो से तीन डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। सबसे अधिक तापमान लुधियाना व मानसा में रहा, जहां 31 वर्ष बाद दिन का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तक दर्ज किया गया, जोकि सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस अधिक था।
1994 के बाद पहली बार लुधियाना में 16 सितंबर के दिन अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा। 1994 में इस दिन अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस था। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार बुधवार को भी पंजाब के कुछ जिलों में वर्षा की संभावना है, जबकि अधिकांश जिलों में मौसम साफ रहेगा।
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