निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है : डा. मित्तल
संस अबोहर निमोनिया का सबसे ज्यादा खतरा पांच वर्ष से कम आयु और खास कर के 2 वर्ष के बच्चों तक को टीका लगवाना चाहिए।

संस, अबोहर : निमोनिया का सबसे ज्यादा खतरा पांच वर्ष से कम आयु और खास कर के 2 वर्ष के बच्चों को होता है बच्चों में निमोनिया के सबसे बडे कारण कुपोषण, मा. के दूध की कमी,घर के अंदर धुएं का वातावरण है। विशेषज्ञ डा. नवीन मित्तल द्वारा यह जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है, जो बैक्टीरिया, वायरस, फंगस के कारण होता है। इससे फेफड़ों में सूजन हो जाती है एवं उसमें तरल पदार्थ भर जाता है। बैक्टीरिया और वायरस निमोनिया के प्रमुख कारण होते हैं। यह बीमारी तब होती है जब किसी व्यक्ति की सांस के साथ निमोनिया ग्रस्त कीटाणु उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता है। इस संबंधी फील्ड हेल्थ स्टाफ एएनएम, मेल वर्कर को शिशु रोग डा. नवीन मित्तल ने बताया कि निमोनिया के शुरुआती लक्षण सर्दी खांसी जैसे हो सकते हैं। ज्यादातर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इससे जल्दी ग्रसित होते हैं। शिशुओं को ये पहला टीका जन्म के डेढ महीने बाद, उसके बाद साढे तीन महीने एवं तीसरा टीका नौ महीनों पर सभी सरकारी अस्पतालों एवं हेल्थ एंड वैलनेस सेंटरों पर निश्शुल्क लगाया जाता है उन्होंने बताया कि जिन बच्चों को पीसीवी का टीका नहीं लगा हो उन्हे इस रोग की चपेट में आने की संभावना अधिक रहती है। इसमें मवाद वाली खांसी, तेज बुखार एवं सीने में दर्द की शिकायत होती है और यह समुचित इलाज के अभाव में जानलेवा साबित हो सकता है। इसमें चिकित्सक द्वारा बताई गई दवाओं के सेवन के साथ गुनगुने जल का सेवन एवं पूरा आराम करना चाहिए। सुखद बात यह है कि इस गंभीर रोग को टीकाकरण द्वारा पूरी तरह रोका जा सकता है। इस अवसर पर एलएचवी कमलजीत कौर, संदीप सिंह उपस्थित थे।

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