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    लाला लाजपत राय की प्रतिमा पर भेंट किए श्रद्धा के फूल

    लाला लाजपत राय के बलिदान दिवस पर पंजाबी सभ्याचार मंच की ओर से लाला लाजपत राय पार्क में उनकी प्रतिमा पर फूल मालाएं अर्पित कर उन्हें याद किया गया।

    By JagranEdited By: Updated: Wed, 17 Nov 2021 09:21 PM (IST)
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    लाला लाजपत राय की प्रतिमा पर भेंट किए श्रद्धा के फूल

    संस, अबोहर : लाला लाजपत राय के बलिदान दिवस पर पंजाबी सभ्याचार मंच की ओर से लाला लाजपत राय पार्क में उनकी प्रतिमा पर फूल मालाएं अर्पित कर उन्हें याद किया गया। कार्यक्रम के मुख्यवक्ता पूर्व एसडीएम एवं मंच के चेयरमैन बीएल सिक्का थे।

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    बीएल सिक्का ने कहा कि जब 1928 में साइमन कमीशन भारत आया तो लाला जी ने कमीशन का विरोध करते हुए अंग्रेजों से कहा था कि हमें भीख नहीं चाहिए, पूर्ण स्वराज चाहिए। साइमन कमीशन का विरोध करते हुए जब वह एक बहुत बड़े समूह का नेतृत्व कर रहे थे तभी तत्कालीन एसएसपी स्काट के आदेश पर लाठीचार्ज कर दिया गया। पुलिसकर्मियों के हमले में गंभीर रूप से घायल लाला लाजपत राय की 17 नवंबर 1928 को मौत हो गई। उन्होंने कहा कि लाला लालपत राय कुशल वक्ता होने के साथ ही कुशल लेखक भी थे। आज देश को लाला लाजपत राय जैसे क्रांतिकारी वीरों की जरूरत है। इस अवसर पर गुरचरण गिल, सुभाष विज, गंगाधर बांसल, सत्यनारायण गोयल , नरेंद्र सिंह, जगदीश जुनेजा, रमेश बजाज, रमेश जग्गा, जतिन धवन, देसराज कंबोज, अनीता रानी, संतोष रानी, जसविन्द्र कौर, ममता रानी के अलावा सरकारी माडल स्कूल के विद्यार्थी मौजूद थे।

    शहीद करतार सिंह सराभा को किया याद संस, अबोहर: सचखंड नर्सिंग कालेज में करतार सिंह सराभा का शहीदी दिवस उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर मनाया गया। इस अवसर पर चेयरमैन विजय आहूजा, प्रिसिपल पूनम शर्मा व स्टाफ ने ज्योति प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरूआत की।

    इस मौके पर जीएनएम और एएनएम की छात्राओं द्वारा देशभक्ति से प्रेरित गायन व कविताओं का उच्चारण किया। जीएनम तृतीय वर्ष की छात्राओं द्वारा शहीद करतार सिंह सराभा जी की जीवन शैली का विस्तृत वर्णन किया। इस मौके पर जीएनएम की छात्राओं द्वारा युवा पीढी को नशे से दूर रहने के लिए स्किट के माध्यम से प्रेरित किया गया। चेयरमैन विजय आहूजा ने बताया कि करतार सिंह सराभा एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने विदेशों में रह रहे भारतीयों के साथ होने वाले भेदभाव का पुरजोर विरोध किया। छात्राओं को सराभा जी के पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित किया गया।