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    Fazilka: सरहदी जिलों में लगातार बढ़ रहा पानी का स्‍तर, बाढ़ के खतरे के चलते 12 गांवों के स्कूल 23 अगस्त तक बंद

    बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने 12 गांवों के स्‍कूल 23 अगस्‍त तक बंद कर दिए हैं। जिला मजिस्ट्रेट डॉ. सेनु दुग्गल ने बताया कि जिले में बाढ़ के संभावित खतरे के चलते 12 गांवों और ढाणियों में रहते बच्चों को 23 अगस्त तक छुट्टी की घोषणा की गई है। यह स्कूल 23 अगस्त तक बंद रहेंगे जबकि जिले के अन्य स्कूल आम दिनों की भांति खुले रहेंगे।

    By Jagran NewsEdited By: Himani SharmaUpdated: Fri, 18 Aug 2023 08:47 PM (IST)
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    बाढ़ के खतरे के चलते 12 गांवों के स्कूल 23 अगस्त तक बंद

    फाजिल्का, संवाद सूत्र: सरहदी जिलों में लगातार बढ़ रहे पानी के स्तर को देखते हुए फाजिल्का जिला प्रशासन ने 12 गांवों के स्कूलों को 23 अगस्त तक बंद रखने के आदेश जारी किए हैं। इनमें सरकारी और प्राइवेट दोनों को शामिल है। जिला मजिस्ट्रेट डॉ. सेनु दुग्गल ने बताया कि जिले में बाढ़ के संभावित खतरे के चलते 12 गांवों और ढाणियों में रहते बच्चों को 23 अगस्त तक छुट्टी की घोषणा की गई है।

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    जारी किए गए आदेशों के अनुसार ये किए जाएंगे बंद

    जारी किए गए आदेशों के अनुसार जलालाबाद की तहसील ढाणी नत्था सिंह, ढाणी फूला सिंह, ढाणी आतू वाला और पीरे के उताड़, जबकि फाजिल्का तहसील के अंतर्गत आते गांव झंगड़ भैणी, गुलाबा भैणी, दोना नानका, तेजा रुहेला, गट्टी नंबर 1, ढाणी सद्दा सिंह, मुहार जमशेर, महातम नगर के सरकारी व प्राइवेट स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। यह स्कूल 23 अगस्त तक बंद रहेंगे, जबकि जिले के अन्य स्कूल आम दिनों की भांति खुले रहेंगे।

    फिरोजपुर में आई बाढ़

    वहीं फिरोजपुर में शुक्रवार सुबह गांव हजारा का पुल डेढ़ माह में दूसरी बार टूटने के कारण एक बार फिर से सीमावर्ती 20 गांवों का देश से सम्पर्क टूट गया है। आर्मी, बीएसएफ और एनडीआरएफ द्वारा तुरंत राहत कार्य शुरू किया गया और पुल में आए कटाव को भरने का राहत कार्य शुरू किया गया।

    ग्रामीणों की बड़ी संख्या में भीड़ पुल को देखने के लिए उमड़ पड़ी, जिसके बाद आर्मी द्वारा लोगों को पीछे किया गया और पुल को भरने का कार्य शुरू किया गया। पिछली बार इस पुल को भरने के लिए अकाली सांसद सुखबीर सिंह बादल, पूर्व कैबिनेट मंत्री राणा गुरमीत सिंह सोढी, पूर्व विधायक सुखपाल सिंह नन्नू द्वारा ग्रामीणों को आर्थिक सहायता प्रदान की गई थी और ग्रामीणों द्वारा यहां पर मिट्टी के बैग लगाए गए थे।