Punjab News: सतलुज का जलस्तर बढ़ने से सरहदी गांवों में चिंता, प्रशासन हाई अलर्ट; डूबी फसल
फाजिल्का के सरहदी इलाकों में सतलुज क्रीक का जलस्तर बढ़ने से ग्रामीणों में चिंता है। जलस्तर खतरे के निशान से नीचे है पर दो साल पहले की बाढ़ की यादें ताज़ा हैं जब फसलें बर्बाद हो गई थीं। प्रशासन का कहना है कि हालात सामान्य हैं और वे स्थिति पर नज़र रख रहे हैं। ग्रामीणों को सूचित किया जाएगा।
जागरण संवाददाता, फाजिल्का। पहाड़ी इलाकों में हो रही लगातार बारिश के चलते फाजिल्का के सरहदी इलाकों से गुजरने वाली सतलुज क्रीक का जलस्तर एक बार फिर बढ़ गया है, जिससे ग्रामीणों की चिंता बढ़ गई है।
फिलहाल जलस्तर खतरे के निशान से करीब साढ़े तीन फीट नीचे है, लेकिन पानी का बढ़ना लोगों को दो साल पहले के वे हालात याद दिला रहा है, जब जलस्तर बढ़ने से फसलें बर्बाद हुईं और गांव पानी में डूब गए।
हालांकि प्रशासन का कहना है कि अभी हालात सामान्य है। अधिकारी पल-पल की रिपोर्ट ले रहे हैं और अगर कोई भी चिंता की बात होगी तो ग्रामीणों को जरूर बताया जाएगा।
बता दें कि बरसात के मौसम में पंजाब और पहाड़ी क्षेत्रों में होने वाली बारिश हमेशा फाजिल्का के सरहदी गांवों के लोगों के लिए चिंता का कारण रही है।
पिछले दिनों हुई बरसात से जुलाई महीने में भी सतलुज क्रीक का जलस्तर बढ़ गया था, जो कुछ ही दिनों में घट गया। लेकिन इस समय फिर से पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रही बारिश के कारण जलस्तर में वृद्धि दर्ज की गई है।
वर्तमान में पानी 11.30 फीट पर बह रहा है, जबकि 14 फीट पर खतरे की स्थिति बनती है। अभी जलस्तर खतरे के निशान से साढ़े तीन फीट नीचे है और फिलहाल बाढ़ जैसी कोई संभावना नहीं है।
लेकिन लगातार बढ़ रहे पानी से ग्रामीण चिंतित है। यह स्थिति नई नहीं है। 1988 से अब तक दस बार जलस्तर में अचानक वृद्धि ने किसानों को मुश्किल में डाला है।
वर्ष 1988 में सबसे बड़ी तबाही हुई थी, जब दरिया का पानी गांवों में सात-आठ फीट तक भर गया था और कई गांव डूब गए थे। 2019 में जलस्तर बढ़ने से झंगड़ भैणी तक पानी पहुंच गया था, लेकिन प्रशासन के प्रयासों से पानी का बहाव धीरे-धीरे हुआ। फिर भी उस साल फसलें बर्बाद हो गई थीं।
वर्ष 2023 में भी किसानों ने 1988 जैसी तस्वीर देखी थी। ढाणी नत्था सिंह निवासी गणेश सिंह, मक्खन सिंह, गुरनाम सिंह, बग्गा सिंह डॉक्टर बलविंदर सिंह ने बताया कि ढाणी नत्था सिंह और ढंडी कदीम के खेलों तक पानी पहुंचने लगा है।
उन्होंने कई बार पानी का प्रकोप देखा है, लेकिन 1988 सबसे भयावह था। 2019 और 2023 में भी पानी फसलों को बर्बाद कर गया। वहीं गांव दोना नानका के काला सिंह ने बताया कि तीन दिन पहले तक पानी दरिया के बीच की खाल में था, लेकिन दो दिनों से यह पूरे दरिया में फैल गया है और फसलों से कुछ ही नीचे है।
उन्होंने कहा कि अगर बारिश और बढ़ी तो पानी खेतों में आ सकता है। हमने बिजाई में पहले ही देरी की थी, अब प्रार्थना है कि पानी और न बढ़े।
लोग चिंता में ना रहे, अभी खतरे की नहीं स्थिति
ड्रेनज विभाग के एक्सईएन गुरवीर सिंह ने बताया कि सतलुज का जलस्तर खतरे के निशान से लगभग साढ़े तीन फीट नीचे है। वर्तमान में जो पानी बढ़ा है, वह बारिशों का है।
विभाग लगातार जलस्तर की निगरानी कर रहा है और पल-पल की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि फिलहाल बाढ़ जैसी कोई स्थिति नहीं है, लेकिन बारिश जारी रहने पर सतर्क रहना जरूरी है।
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