फाजिल्का-फिरोजपुर हाईवे पर धरना प्रदर्शन से 10 घंटे से जाम, वाहनों की लगी लंबी कतारें; यातायात ठप
फाजिल्का-फिरोजपुर हाईवे (Fazilka-Ferozepur Highway) पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और नरेगा रोजगार प्राप्त मजदूर यूनियन के प्रदर्शनकारियों ने बुधवार दोपहर से रेलवे ओवरब्रिज को बंद कर दिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे तब तक नहीं हटेंगे जब तक प्रशासन उनकी मांगों को पूरा नहीं कर देता। धरने के कारण हाईवे पर यातायात पूरी तरह से ठप हो गया है।

जागरण संवाददाता, फाजिल्का। फाजिल्का जिले में बुधवार दोपहर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और नरेगा रोजगार प्राप्त मजदूर यूनियन द्वारा फाजिल्का-फिरोजपुर हाईवे पर रेलवे ओवरब्रिज को बंद कर दिया गया। धरना दोपहर 12 बजे शुरू हुआ और देर रात तक यह लगातार जारी रहा, जिससे हाईवे पर यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। जाम की स्थिति यह है कि करीब 40 से 50 ट्रकों की लंबी कतारें दोनों ओर लग चुकी हैं। धरना स्थल पर न सिर्फ प्रदर्शनकारी डटे हुए हैं, बल्कि उन्होंने हाईवे पर ही अस्थायी रसोई बनाकर खाना बनाना शुरू कर दिया है।
प्रदर्शनकारियों ने क्या कहा?
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे तब तक वहां से नहीं हटेंगे जब तक प्रशासन उनकी मांगे पूरी नहीं करता। धरनाकारियों का आरोप है कि जिला प्रशासन ने 21 अप्रैल को हुए पहले प्रदर्शन के दौरान उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी मांगों पर कार्यवाही होगी, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
उधर धरने के कारण जहां आमजन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं सैकड़ों किलोमीटर दूर से आए ट्रक चालक भी भारी मुश्किल में फंस गए हैं।
सड़कों पर चले ट्रक चालक
धरना स्थल के निकट खड़े ट्रक चालकों में से एक राजस्थान निवासी ओम प्रकाश ने बताया कि वह दोपहर 1 बजे से फ्लाईओवर पर फंसे हुए हैं। वह राजस्थान से श्रीनगर के लिए सामान लेकर निकले थे, लेकिन अब 9 घंटे से अधिक समय से वहीं खड़े हैं।
उन्होंने कहा कि हल्के वाहन तो वैकल्पिक रास्तों से निकल रहे हैं, लेकिन भारी वाहनों के लिए कोई रास्ता नहीं बचा। उधर रात करीब दस बजे धरने के आसपास भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया।
देर रात्रि तक धरनाकारियों के साथ बातचीत के कई दौर हुए, जिनमें एडीसी भी शामिल रहे, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकल सका है। अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से बार-बार अपील की कि वे रास्ता खाली करें, लेकिन अभी तक धरना जारी है।
धरने के खिलाफ विभिन्न गांव के सरपंच भी कर चुके प्रशासन से मुलाकात
उधर इस धरने के खिलाफ विभिन्न गांव के सरपंच भी प्रशासन से मुलाकात कर चुके हैं। दरअसल पिछले कई दिनों से यूनियन नेताओं और विभिन्न गांव के सरपंचों के बीच मनरेगा के कार्य को लेकर विवाद चल रहा है।
विभिन्न गांव के सरपंचों का कहना है कि गांव में प्रशासन द्वारा बिल्कुल सही कार्य दिया जा रहा है। लेकिन कुछ नेताओं द्वारा लोगों को गुमराह करके उन्हें धरना प्रदर्शन करने के लिए कहा जा रहा है, जबकि वह प्रशासन के साथ है।
पूरी पादर्शता से दिया जा रहा काम: एडीसी
एडीसी डी सुभाष चंद्र ने कहा कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत गांवों के लोगों को पारदर्शी ढंग से रोजगार दिया जा रहा है। पिछले दिनों जहां मनरेगा कर्मचारियों के काम संबंधी मांग भरने के लिए शेड्यूल जारी किए गए।
वहीं अब जिन गांवों में मेट की कमी है या पहले से काम कर रहे मेट को लेकर मनरेगा कर्मियों में असहमति थी, वहां नए मेट बनाने के लिए ग्राम सभाओं की बैठक बुलाने संबंधी निर्देश जारी किए गए हैं। जिसके तहत एक गांव में सात मेट रख भी लिए गए हैं। लेकिन इसके बावजूद धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। इस संबंधी धरनाकारियों से बातचीत की जा रही है।
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