जीवन का दर्पण है भागवत : सरोज देवी
ाीमद्भागवत कथा जीवन का दर्पण है। इसके केवल श्रवण मात्र से कल्याण नहीं बल्कि आचरण में लाने पर ही फल मिलता है

संवाद सूत्र, फाजिल्का : श्रीमद्भागवत कथा जीवन का दर्पण है। इसके केवल श्रवण मात्र से कल्याण नहीं, बल्कि आचरण में लाने पर ही फल मिलता है, जब-जब इस धरा पर धर्म की हानि होती है। अधर्म, अत्याचार, अन्याय, अनैतिकता बढ़ती है, तब-तब धर्म की स्थापना के लिए ईश्वर अवतार धारण करते हैं। यह प्रवचन बीकानेरी रोड पर स्थित सेठ गरीब चंद धर्मशाला में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन वृंदावन धाम से आई सरोज देवी ने कथा करते हुए किए।
उन्होंने कहा कि आज मानव केवल अपने सुखों की खातिर जीवन व्यतीत करने में लगा है, उसको यह तक याद नहीं कि वह परमात्मा का अंश है, जोकि परमात्मा में ही समा जाएगा। श्रीमद्भागवत कथा से ही जीव के भीतर प्रभु को मिलने की आशा पैदा होती है, जहां कथा होती है, वहां पर भगवान श्री कृष्ण स्वंय होते हैं। कलियुग में भगवान न योग से, न तप से न दक्षिणा से न तीर्थ स्नान से, न व्रत नेम से मिलते हैं, बल्कि प्रभु का नाम लेने से जीव उसे प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि भगवान का सत्संग जीव को मन लगाकर करना चाहिए। सत्संग के प्रभाव से कौवा कोयल हो जाता है। इसके लिए श्री राम चरित्र मानस, श्री गीता जी आदि सद्ग्रंथों का नित्य पाठन एवं श्रवण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज भागदौड़ की जिदगी में लोग धर्म को भूलते जा रहे हैं। इसलिए लोगों को चाहिए, जहां भी धार्मिक कार्यक्रम या भागवत कथा चल रही हो कुछ समय निकालकर उसमें शामिल जरूर हों। आयोजकों ने बताया कि आठ मई से चल रही श्रीमद्भागवत कथा का समापन 16 मई को होगा। सुबह दस बजे हवन यज्ञ आयोजित होगा, जिसके बाद श्रीमद्भागवत कृपा प्रसाद वितरित किया जाएगा व एक बजे खुला भंडारा आयोजित किया जाएगा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।