Punjab Train Blast: स्कैनर फेल, यात्रियों से पैसे ऐंठे...नहीं दिखी पटाखों से भरी बाल्टी; धमाके उठा रहे कई गंभीर सवाल
हावड़ा मेल में हुए धमाके ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। यात्रियों का कहना है कि सुरक्षाकर्मियों ने चेकिंग के दौरान तंबाकू के लिए उनसे पैसे लिए लेकिन पटाखों से भरी बाल्टी नहीं देखी। अब रेलवे पुलिस पिछले स्टेशनों के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है लेकिन भीड़ के कारण पटाखे लेकर चढ़ने वाले की पहचान करना मुश्किल हो रहा है।

नवनीत छिब्बर, फतेहगढ़ साहिब। हावड़ा मेल में शनिवार रात हुआ धमाका कई बड़े सवाल खड़े कर गया है। जिस जरनल कोच में धमाका हुआ, उसमें सफर कर रहे यात्रियों ने बताया कि जालंधर से लुधियाना के बीच फगवाड़ा के पास दो सुरक्षाकर्मी चेकिंग के लिए डिब्बे में चढ़े थे।
सुरक्षा कर्मियों ने कुछ यात्रियों की जेबें टटोलीं, कुछ के सामान को डंडे से ठोंका और कुछ लोगों की जेब से तंबाकू बरामद करने के बाद उनसे पैसे ऐंठकर वे चलते बने।
उन्हें शायद पटाखों वाली बाल्टी नहीं दिखी। उनके जाने के बाद सरहिंद तक कोई भी सुरक्षाकर्मी डिब्बे में नहीं आया। स्पष्ट है कि सुरक्षा कर्मियों ने अपना काम ईमानदारी से नहीं किया। यह भी बड़ा सवाल है कि रेलवे स्टेशन व ट्रेन के भीतर होने वाली जांच के बावजूद विस्फोटक पटाखे ट्रेन के भीतर कैसे पहुंचे।
त्योहारों के कारण पंजाब के लिए थ्रेट का अलर्ट पहले से है। हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों सहित सार्वजनिक स्थानों पर कड़ी सुरक्षा के दावे किए जा रहे हैं।
अगर सही से जांच होती तो नहीं होता धमाका
हावड़ा मेल धमाके की घटना सुरक्षा चूक की तरफ इशारा तो करती ही है जो किसी बड़ी घटना का कारण भी बन सकती है। ऐसी घटना का जिम्मेदार कौन है? हावड़ा मेल सात स्टेशनों अमृतसर, ब्यास, करतारपुर, जालंधर सिटी, जालंधर कैंट, फगवाड़ा, लुधियाना से सरहिंद जंक्शन पहुंची थी।
सात स्टेशनों से होती हुई अपने आठवें ठहराव पर पहुंचते-पहुंचते यह खचाखच भर चुकी थी। जिन स्टेशनों से होकर हावड़ा मेल आई सभी पर सुरक्षा की कई लेयर हैं। सामान की स्कैनिंग व यात्रियों की चेकिंग के बाद ही स्टेशन में प्रवेश होता है।
इसके बाद ट्रेन के भीतर तैनात सुरक्षाकर्मी भी ट्रेन में गश्त करते हैं, चेकिंग करते हैं, फिर भी पटाखे ट्रेन में मौजूद थे। पटाखों की जगह कोई घातक विस्फोटक भी हो सकता था।
घायलों की सुध लेने तक नहीं पहुंचे अधिकारी
शुरुआती जांच के बाद रेलवे पुलिस का तर्क है कि किसी सवारी का धूमपान करना पटाखों से भरी बाल्टी में विस्फोट का कारण है। ट्रेन में धूमपान भी वर्जित है। जरनल कोच में यात्रियों से ज्यादा सामान था। छठ पूजा व भाईदूज मनाने घर जाने वाले यात्री फर्श पर बैठकर या खड़े होकर सफर कर रहे थे।
रात साढ़े दस बजे कोई सो रहा था तो कोई जग रहे थे। ऐसे यकायक हुए धमाके ने सभी को दहला दिया। धमाके के बाद घटना स्थल व अस्पताल आने वाले सबसे वरिष्ठ अधिकारी रेलवे पुलिस के डीएसपी जगमोहन सिंह ही थे। अंबाला रेल मंडल का कोई वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर या घायलों की सुध लेने तक नहीं पहुंचा।
तीस किलो से अधिक सामान नहीं ले जा सकते यात्री
ट्रेन में सफर के दौरान प्रत्येक यात्री केवल तीस किलो वजन तक का सामान ही अपने साथ ले जा सकता है, जबकि यात्रियों की माने तो ट्रेन में सवारियों से ज्यादा सामान था। रेलवे कर्मचारियों और रेलवे पुलिस ने भी इसकी तस्दीक की है कि हादसे वाले कोच में सामान ठूंस-ठूंस कर भरा था।
पटाखे लेकर कौन चढ़ा, इसकी पहचान करना मुश्किल रेलवे पुलिस सरहिंद से पिछले स्टेशनों के सीसीटीवी फुटेज जांचने का काम शुरू किया है परंतु यहां पुलिस को दिक्कत यह आ रही है कि उस तरह की बाल्टी (पेंट की खाली बाल्टी) लेकर बहुत से यात्री हर स्टेशन से ट्रेन में चढ़े थे।
त्योहारों के कारण भारी भीड़ धक्का-मुक्की कर ट्रेन में चढ़ रही थी। ऐसे में सात स्टेशनों की सीसीटीवी फुटेज से पटाखों वाली बाल्टी की पहचान करना कठिन हो रहा है।

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