मां तुझे सलाम! पंजाब में स्पेशल स्कूल खोलकर कमजोर बच्चों को बना रहीं आत्मनिर्भर, पढ़िए प्रीति की बेमिसाल स्टोरी
पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में रहनेवाली प्रीति विशाल कई स्पेशल बच्चों का जीवन संवार रही हैं। वह लक्ष्य स्पेेशल स्कूल 18 सालों से चला रही हैं जहीं वो इन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने की सीख दे रही हैं। प्रति की व्यवहार बहुत सरल है और साथ ही वह बहुत मीठी बोली रखती है जिससे लोग उन्हें पसंद करते हैं। प्रीति आत्मविश्वास से भरी हैं।

नवनीत छिब्बर, फतेहगढ़ साहिब : वर्ष 2006 अध्यापिका प्रीति विशाल प्रतिदिन की तरह पंजाब के फतेहगढ़ साहिब के गांव सरहिंद से 30 किलोमीटर दूर स्थित मोरिंडा जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर खड़ी हैं। उनके साथ थी सरहिंद में तैनात रेलवे इंजीनियर की 14 वर्षीय बेटी प्रतिभा। तभी बच्ची प्रतिभा अचानक विचलित हो उठी और अपने कपड़े उठाकर जोर-जोर से रोने लगी। उसके इस व्यवहार से स्टेशन पर लोग हंसने लगे।
उलझन में फंसी प्रीति ने प्रतिभा की मां को फोन कर बच्ची को समझाने के लिए कहा। इस बीच प्रतिभा की मां ने पूरी बात सुनी और प्रीति से कहा कि ‘इस समय तुम ही उसकी मां हो।’ जवाब सुनकर प्रीति को लगा मानो उनकी आंखें खुल गई।
उन्हें महसूस हुआ कि जब प्रतिभा बोल और सुन ही नहीं सकती तो उसे समझाने की बात कहां से आ गई। उसे तो मृदु व्यवहार से ही शांत किया जा सकता था। वह कई दिनों तक इस संबंध में सोचती रहीं। अंतत: जन्म हुआ ‘लक्ष्य स्पेशल स्कूल’ का जहां प्रीति विशाल गत 18 वर्षों से अपने मृदु व्यवहार से स्पेशल बच्चों का जीवन संवार रही हैं।
सरहिंद से सटे तलानिया गांव में लक्ष्य स्पेशल स्कूल 16 विशेष बच्चों को आत्मनिर्भर बना रहा है। मध्यमवर्गीय पृष्ठभूमि से आने वाली प्रीति के लिए यह आजीविका का साधनभर नहीं है। प्रीति ने ठानी थी कि वह उस युवक को ही अपना जीवनसाथी चुनेगी जो उसके संकल्प में सहयोग देगा।
विवाह से पूर्व ससुराल वालों को अपने स्कूल बुलाकर अपना काम दिखाया और यह काम न छोड़ने की शर्त पर ही 2010 में विवाह करने को तैयार हुई। इसके बाद प्रीति का विवाह गांव से 30 किमी दूर मोरिंडा में हुआ। उनके पति मिठाई की दुकान चलाते हैं। अब उनके स्वयं के दो बच्चे हैं। प्रीति रोज मोरिंडा से सरहिंद आती हैं। लक्ष्य स्पेशल स्कूल प्रीति के लिए वर्कप्लेस न होकर परिवार के घर का एक विस्तारभर है।
2009 में लक्ष्य स्कूल की स्थापना के साथ विशेष बच्चों के लिए शुरू हुआ प्रीति विशाल का सफर आसान नहीं रहा। उनके सामने पारिवारिक व आर्थिक चुनौतियां आईं। 2012 में स्कूल चलाने के लिए फंड की जरूरत थी। सपोर्टिंग स्टाफ का वेतन देने और बच्चों के लिए जरूरी चीजों का प्रबंध करने में परेशानी उठानी पड़ रही थी। ऐसे में 2014 में उन्होंने एनआरआई एसपी ओबराय से संपर्क किया। उनके काम से प्रभावित ओबराय ने बिना विलंब उन्हें आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई।
आत्मविश्वास से आत्मनिर्भरता तक
लक्ष्य स्पेशल स्कूल के विद्यार्थी जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों व खेल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं। लक्ष्य स्पेशल स्कूल के कई विद्यार्थी आज सामान्य जीवन जी रहे हैं। उनके विद्यार्थी रहे अनुराग कीरतपुर म्यूनिसिपल कमेटी में कार्यरत हैं।
अनुराग सामान्य वैवाहिक जीवन जी रहे हैं। उनके दो बच्चे हैं जो पूरी तरह सामान्य हैं। इसी तरह, तलानिया के दविंदर सिंह एक फैक्ट्री में काम कर अपना जीवनयापन कर रहे हैं। उनके स्कूल की विद्यार्थी रही कई लड़कियां आज सामान्य वैवाहिक जीवन जीते हुए अपने परिवार का ध्यान रख रही हैं।
सही मेहनत बदल देती है जीवन
प्रीति बताती हैं कि माइल्ड श्रेणी के विशेष बच्चों पर सही मेहनत की जाए तो उन्हें सामान्य जीवन शैली से जोड़ा जा सकता है। इन बच्चों से अच्छे व्यवहार और उनके अनुसार सिखाने से आत्मविश्वास पैदा करने होता है। तभी इन्हें आत्मनिर्भरता की ओर ले जाया जा सकता है। स्कूल में सामान्य पढ़ाई के साथ सामान्य जीवनशैली से जोड़ने का प्रयास किया जाता है जिससे ये रोजमर्रा के जीवन में सामान्य बन सकें।
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