बाबा दयाल दास को नजदीक से मारी गई सात गोलियां
कोटसुखिया स्थित हर का दास डेरे की देखरेख करने वाले 5
प्रदीप कुमार सिंह, कोटसुखिया (कोटकपूरा)
कोटसुखिया स्थित हर का दास डेरे की देखरेख करने वाले 58 वर्षीय बाबा दयाल दास की हत्या वीरवार की दोपहर साढ़े तीन बजे हत्यारों ने नजदीक से सात गोली मारकर की थी। बाबा के सिर में दो, छाती में दो जबकि पेट, दाएं व बाएं पैर में एक-एक गोली मारी गई। थाना सदर पुलिस द्वारा दो अज्ञात हत्यारों के विरूद्ध केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। एसएचओ रमेश पाल व उनकी टीम द्वारा गोशाला की सीसीटीवी फुटेज को खंगालने के साथ ही उस वक्त के मोबाइल फोनों की लोकेशन ट्रेस की जा रही है।
हत्या के कारणों पर आशंका व्यक्त की जा रही है, कि डेरे की बेशकीमती सवा दो सौ एकड़ जमीन व अन्य संसाधन हो सकते है। परंतु इस आशंका पर बड़ा सवाल डेरे की दूसरी शाखाओं के प्रमुखों व सेवादारों द्वारा यह कहते हुए विराम लगा दिया जा रहा है कि जब डेरे के 80 वर्षीय प्रमुख हरिदास जी जिदा हैं तो यह आशंका निराधार है। शुक्रवार की दोपहर पुलिस पोस्टमार्टम उपरांत शव अंतिम संस्कार के लिए डेरे को सौंप दिया गया। डेरे में ही पूर्व प्रमुखों की समाधि स्थल के पास बाबा दयाल का भी अंतिम संस्कार किया गया।
डेरे के सीनियर सेवादार जरनैल सिंह व कोटसुखिया गांव में ही डेरे की दूसरी शाखा के प्रमुख बाबा कौर दास ने बताया कि दयाल दास मोगा जिले के कपूरे गांव के रहने वाले थे। वह पिछले 40 सालों से डेरे में ही रह रहे थे, दयाल दास का एक बायां हाथ जब वह डेरे में आए थे, उसके पहले ही किसी घटना के कारण कट गया था, वह एक ही हाथ से सभी कार्य करते थे। सेहत ठीक न होने के कारण ही बाबा ने दयाल को डेरे की देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी थी। बाबा कौर ने बताया कि दयाल की किसी से कोई झगड़ा-लड़ाई नहीं थी, हत्या का क्या कारण हो सकता है, यह तो पुलिस जांच में ही पता चल सकेगा।
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1986 में बाबा मोहनदास की भी हो चुकी है हत्या
कोटसुखिया स्थित हर का दास डेरे के दूसरे प्रमुख बाबा मोहनदास की हत्या 1985-86 के मध्य गोली मार की गई थी। इस हत्याकांड के बारे में कहा जा रहा है कि इसे आंतकियों द्वारा अंजाम दिया गया था, बाबा मोहनदास की हत्या क्यों की गई, अब तक यह रहस्य बना हुआ है। इनसेट
डेरे की प्रदेश भर में हैं अन्य शाखाएं-
बाबा कौर सिंह व सेवादार जरनैल सिंह ने बताया कि डेरे की प्रदेश भर में अन्य डेरे भी चल रहे है, जिनके पास जमीन व ज्यादात व गौशालाएं हैं। गोशालाओं वाले डेरों में फरीदकोट जिले में कोटसुखिया, मोगा जिले में रोड़ेशाह, कपूरे व चकवा, बठिडा में गोठीपुर, फिरोजपुर में तलवंडी भाई व वाड़ा जवाहर सिंह वाला, लुधियाना में दाया है जबकि डूडी डेरे में गौशाला नहीं है।
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हत्या से पहले 15 मिनट की बाबा से बात
बताया जा रहा है कि हत्यारे बाबा दयाल की हत्या से दो घंटे पहले डेरे में पहुंच गए थे। 21 से 25 साल के मध्य वाले दोनों हत्यारों द्वारा गोशाला में गोवंशों की सेवा की गई। लंगर हाल में लंगर भी ग्रहण किया, बाबा दयाल से 15 मिनट तक बैठकर बात की। उसके बाद हत्यारे मुख्य इमारत से बाहर निकले जहां पर किसी व्यक्ति द्वारा दोनों की बातें करते हुए सुना गया कि बाबा कों नहीं मारते है, हमें क्या लेना-देना। दोनों ने किसी व्यक्ति से दो से तीन बार फोन पर बात की गई, जिसके कुछ समय बाद बाबा को उस समय गोलियों से छलनी कर दिया गया जब वह लंगर ग्रहण कर रहे थे।

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