फरीदकोट में मदर मिल्क बैंक दे रहा नवजन्मे बच्चों को जीवनदान, 550 शिशुओं तक पहुंचा ‘अमृत’
फरीदकोट में गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज में स्थापित मदर मिल्क बैंक नवजात शिशुओं के लिए जीवनदायिनी साबित हो रहा है। दो माह के ट्रायल में, इसने पंजाब, ...और पढ़ें

गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल स्थापित किया गया मदर मिल्क बैंक।
जतिंदर कुमार, फरीदकोट। मां का दूध नवजात शिशु के लिए प्रकृति का सबसे बड़ा उपहार है, लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि बच्चे को यह ‘अमृत’ उपलब्ध नहीं हो पाता। मालवा क्षेत्र में इस कमी को दूर करने के लिए गुरु गोबिंद सिंह मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के मातृ एवं शिशु ब्लाक में स्थापित किया गया पहला मदर मिल्क बैंक नवजात बच्चों के लिए जीवनदायिनी सिद्ध हो रहा है।
दो माह के ट्रायल के दौरान इस सुविधा ने फरीदकोट के अलावा पंजाब, राजस्थान और हरियाणा के नजदीकी जिलों से आए 550 से अधिक नवजात शिशुओं तक मां का दूध पहुंचाया है।
मेडिकल कॉलेज में पिछले वर्ष अत्याधुनिक मातृ एवं शिशु ब्लाक की शुरुआत की गई थी। यहां दो माह पहले मदर मिल्क बैंक का ट्रायल शुरू किया गया था, जिसे अब पूर्ण रूप से लागू कर दिया गया है। यहां उन नवजात बच्चों को लाभ मिल रहा है जिनकी माताएं किसी अन्य अस्पताल में उपचाराधीन हैं, जिनका प्रसव सिजेरियन हुआ है या किसी कारणवश शुरुआती दिनों में उनके शरीर में दूध नहीं उतर पाता।
मदर मिल्क बैंक में दूध दान करने पहुंचीं माताएं।
इसके अलावा कई प्रसूताओं के दूध तो उतरता है, लेकिन उनके बच्चे बीमारी या कमजोरी के कारण दूध नहीं पी पाते। ऐसी महिलाएं स्वेच्छा से अपना दूध दान करती हैं ताकि अन्य जरूरतमंद शिशुओं को जीवन रक्षक पोषण मिल सके। बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंसिज ने इस परियोजना पर 30 लाख रुपये खर्च किए हैं, जो पंजाब सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए हैं।
मिल्क बैंक में तैनात दो प्रशिक्षित नर्सें वार्डों में जाकर माताओं को प्रक्रिया के बारे में जागरूक कर रही हैं। अस्पताल प्रबंधन भी जागरूकता अभियान चला रहा है। ट्रायल अवधि में ही 1,545 महिलाओं ने स्वेच्छा से दूध दान किया है। यहां रोजाना एक से डेढ़ लीटर दूध एकत्रित हो रहा है। इस दूध ने अब तक 550 शिशुओं को पोषण और स्वास्थ्य प्रदान किया है।
कैसे काम करता है मदर मिल्क बैंक
मिल्क बैंक में दूध संग्रह से लेकर शिशुओं को उपलब्ध कराने तक पूरा प्रोसेस अत्यधिक सुरक्षित और वैज्ञानिक ढंग से किया जाता है। दूध दान से पहले माताओं की पूरी जांच की जाती है, जिसमें हेपेटाइटिस बी, सी, एचआइवी, सिफलिस आदि जांच शामिल हैं। सबसे पहले मां आधुनिक मशीनों के माध्यम से दूध निकालती हैं।
मदर मिल्क बैंक में दान किया गया दूध नवजात शिशु को पिलाती नर्स।
इसके बाद लेमिनार फ्लो मशीन में दूध की मिक्सिंग और ह्यूमन मिल्क पेस्चराइजर में पेस्चराइजेशन की प्रक्रिया की जाती है ताकि सभी हानिकारक बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं। सैंपल को माइक्रोबायोलाजी लैब में टेस्ट किया जाता है। रिपोर्ट संतोषजनक होने पर दूध को डीप फ्रीजर में स्टोर कर लिया जाता है। यह दूध छह माह तक सुरक्षित रखा जा सकता है। बैंक में एक बार में 100 माताओं का दूध संग्रहित करने की क्षमता है।
माताओं ने कहा- बच्चों के लिए संजीवनी साबित हुआ बैंक
श्री मुक्तसर साहिब निवासी रेखा बताती हैं कि प्रसव के बाद उनके शरीर में दूध नहीं आया, लेकिन मदर मिल्क बैंक की मदद से उनकी बेटी को सुबह-शाम समय पर पोषण मिल रहा है। इसी तरह सिजेरियन प्रसव से गुजर चुकी फरीदकोट निवासी गगनदीप कौर का दूध कम बन रहा था। उन्होंने बताया कि अस्पताल स्टाफ नियमित रूप से मिल्क बैंक से प्राप्त मां का दूध उनके बच्चे को पिलाता है। यह सुविधा बच्चों के लिए किसी आशीर्वाद की तरह है।
मदर मिल्क बैंक नवजन्मे बच्चों के लिए वरदान है। वर्तमान में अधिकांश डिलीवरी सिजेरियन हो रही है। ऐसे में मां अस्पताल में होती है और बच्चे को किसी तरह की परेशानी आने पर उससे दूर अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ता है। ऐसे में डिब्बाबंद दूध दिया जाने के कारण बच्चा मां के दूध से मिलने वाले न्यूट्रिशियन से वंचित रह जाता है। हालांकि अब ऐसा नहीं है। मदर मिल्क बैंक से बच्चे को दूध के साथ वह न्यूट्रिशियन मिल जाता है जो उसके लिए बहुत जरूरी होता है। यह दूध बच्चों के लिए अमृत समान होता है। -डॉ. शशिकांत धीर, बाल रोग विशेषज्ञ एवं विभाग प्रमुख
डॉ. शशिकांत।
बाबा फरीद यूनिवर्सिटी न सिर्फ मदर मिल्क बैंक, बल्कि कई अन्य आधुनिक मशीनें लाकर विभागों को विकसित कर रहा है। हमारा उद्देश्य यही है कि यहां पंजाब सहित अन्य राज्यों से आने वाले मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नाममात्र फीस में उपलब्ध हो सकें। मदर मिल्क बैंक की सुविधा पूरी तरह से निश्शुल्क है। -डॉ. राजीव सूद, कुलपति, बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंसिज

डॉ. राजीव सूद।

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