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27 मई 1946 को पंडित नेहरू ने फरीदकोट रियासत के विरूद्ध फहराया था तिरंगा

ं फरीदकोट रियासत की जनता द्वारा 30 अप्रैल 1946 से विरोध स्वरूप हड़ताल शुरू कर दी गई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 05:38 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 05:38 PM (IST)
27 मई 1946 को पंडित नेहरू ने फरीदकोट रियासत के विरूद्ध फहराया था तिरंगा
27 मई 1946 को पंडित नेहरू ने फरीदकोट रियासत के विरूद्ध फहराया था तिरंगा

प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट

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फरीदकोट की पुरानी दाना मंडी के एतिहासिक नीम के पेड़ पर 27 मई को 74वां झंडा दिवस मनाया गया। ध्वजारोहण पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के पीए रहे सुरेन्द्र गुप्ता द्वारा किया गया। 27 मई, 1946 का दिन फरीदकोट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। इसी दिन प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अंग्रेजी हुकूमत के समर्थक फरीदकोट रियासत के राजा हरिदर सिंह द्वारा लागू की गई पाबंदी व कानून को तोड़कर तिरंगा झंडा फहराया था। 74वें झंड़ारोहण के अवसर पर साजन शर्मा, हाजी शेख दिलावर हुसैन, जगजीत सिंह जीत, अशोक भटनागर, रणधीर सिंह कुक्कु, प्रवीण काला आदि उपस्थित रहे।

सुरेन्द्र गुप्ता ने बताया कि देश में आजादी की लहर चल रही थी, इसी क्रम में अंग्रेजी हुकुमत के हिमायती फरीदकोट रियासत के राजा हरिदर सिंह द्वारा आजादी आंदोलन को कुचलने हेतु आजादी के दीवानों को जेलों में ठूंसा जा रहा था। इसके विरोध में फरीदकोट रियासत की जनता द्वारा 30 अप्रैल, 1946 से विरोध स्वरूप हड़ताल शुरू कर दी गई। यह हड़ताल पंडित नेहरू के फरीदकोट आने और नेहरू-हरिदर पैक्ट के बाद ही खत्म हुआ। देश में किसी भी रियासत के विरुद्ध आजादी आंदोलन के दौरान यह सबसे बड़ी हड़ताल थी।

पंडित जवाहर लाल नेहरू को फरीदकोट की जनता द्वारा फरीदकोट रियासत के विरुद्ध देश की आजादी हेतु किए जा रहे संघर्ष और हड़ताल की जानकारी हुई। वह 27 मई, 1946 को फरीदकोट पहुंचे। नेहरू के फरीदकोट पहुंचने की सूचना पर फरीदकोट रियासत द्वारा धारा 144 लगा दी गई गई। जैसे ही वह फरीदकोट रेलवे स्टेशन से आगे बढ़े उन्हें फरीदकोट रियासत के मजिस्ट्रेट द्वारा धारा 144 लागू होने का पत्र सौंपा गया, जिसे उन्होंने वहीं फाड़कर फेंक दिया और तिरंगा झंडा फहराने का फैसला किया। जिस स्थान पर उन्होंने पत्र को फाड़कर फेंका था, वहीं पर उनकी याद में एक विशाल गेट बनाया गया, जिसका नाम नेहरू गेट रखा गया जो आज भी विद्यमान है। सुरेन्द्र गुप्ता ने बताया कि यहां से वह जुलूस की शक्ल में पुरानी दाना मंडी पहुंची और नीम के पेड़ के पास तिरंगा झंडा फहराया। वह राजा हरिदर सिंह के प्रस्ताव पर राजमहल गए, वहां पर पंडित नेहरू और राजा हरिदर के मध्य एक समझौता हुआ। इसके आधार पर आजादी के लिए संघर्ष करने वाले जेल में बंद सभी लोगों को राजा ने तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। उन्होंने बताया कि 27 मई, 1971 को झंडा दिवस की सिल्वर जुबली उनके नेतृत्व में मनाई गई, जिसमें मुख्यातिथि के रूप में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री केसी पंत शामिल हुए। समारोह की प्रधानगी प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन प्रधान ज्ञानी जैल सिंह ने की। इसके बाद 27 मई, 1996 में गोल्डन जुबली पर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री की ओर से उनकी पत्नी जसवंत कौर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई, और इस कार्यक्रम की प्रधानगी सीपीआइ के महासचिव डॉ जोगिदर पाल ने की। इनसेट

75वीं वर्षगांठ धूमधाम से मनाई जाएगी

कमेटी के सदस्यों द्वारा निर्णय लिया गया है कि 2021 में 75वें झंड़ारोहण दिवस पर खूनदान कैंप, प्रजामंडल से जुड़े नेताओं के परिजनों का सम्मान, पौधारोपण आदि कार्यक्रम किए जाने के प्रावधान के साथ मुख्य समागम में केन्द्र व राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को आंमत्रित किया जाएगा।


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