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    Faridkot Stubble Burning: जिले में अब तक पराली जलाने के आए 1955 मामले, 598 किसानों के कटे चालान; 81 पर केस दर्ज

    By Jatinder KumarEdited By: Nidhi Vinodiya
    Updated: Tue, 21 Nov 2023 05:24 PM (IST)

    फरीदकोट में अब तक पराली जलाने के 1955 मामले सामने आ चुके हैं। जो पिछले वर्ष की तुलना में 27 प्रतिशत कम है। पिछले वर्ष 21 नवंबर तक पराली जलाने के 2680 मामले सामने आए थे। इस संबंध में कार्रवाई करते हुए जिला प्रशासन द्वारा जहां अब तक 598 किसानों के चालान किए जा चुके हैं वहीं पुलिस प्रशासन द्वारा 81 किसानों पर केस दर्ज किए जा चुके हैं।

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    जिले में अब तक पराली जलाने के आए 1955 माम

    जागरण संवाददाता, फरीदकोट। Faridkot Stubble Burning: पराली जलाने के मामलों को लेकर जहां अधिकारियों द्वारा अपने स्तर पर जागरूकता फैलाने के साथ-साथ फील्ड में जाकर स्वयं पराली को लगी आग बुझाई जा रही है वहीं दूसरी ओर पुलिस प्रशासन ने सख्ती अपनाई हुई है। इसी के तहत गत दिवस भी पुलिस द्वारा छह केस दर्ज किए गए।

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    598 किसानों के कटे चालान

    उल्लेखनीय है कि जिले में अब तक पराली जलाने के 1955 मामले सामने आ चुके हैं। जो पिछले वर्ष की तुलना में 27 प्रतिशत कम है। पिछले वर्ष 21 नवंबर तक पराली जलाने के 2680 मामले सामने आए थे। इस संबंध में कार्रवाई करते हुए जिला प्रशासन द्वारा जहां अब तक 598 किसानों के चालान किए जा चुके हैं वहीं पुलिस प्रशासन द्वारा 81 किसानों पर केस दर्ज किए जा चुके हैं।

    बाजाखाना में अज्ञात किसानों पर मामले दर्ज

    गत दिवस पुलिस द्वारा कुल छह किसानों पर केस दर्ज किए गए। जिनमें थाना सदर फरीदकोट में गांव पिपली निवासी आज्ञाकार सिंह व जगसीर सिंह पर, थाना सिटी कोटकपूरा में अज्ञात किसान पर, थाना सदर कोटकपूरा में गांव देवीवाला निवासी जगसीर सिंह तथा गांव पंजगराई कलां निवासी काला सिंह के खिलाफ तथा बाजाखाना में अज्ञात किसानों पर मामले दर्ज किए गए हैं।

    नुकसान के बारे में किसानों को जागरूक किया

    दूसरी ओर खेतीबाड़ी विभाग के अधिकारियों द्वारा लगातार गांवों का दौरा किया जा रहा है। जिला कृषि अधिकारी डॉ. करनजीत सिंह गिल के नेतृत्व में गई टीम द्वारा जब कुछ गांवों में दौरा किया गया तो वहां पराली को आग लगी पाए जाने पर उसे बुझाया गया। इस दौरान डॉ. करनजीत सिंह गिल ने किसानों को पराली को आग लगाने के होने वाले नुकसान, उन पर होने वाली कानूनी कार्रवाई तथा पर्यावरण को हो रहे नुकसान के बारे में किसानों को जागरूक किया।

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